वाराणसी, 25 दिसम्बर। काशी तमिल संगमम-2 में भाग लेने आए तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि और केन्द्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने सोमवार को अस्सीघाट पर सुबह-ए-बनारस का अतुलनीय प्राकृतिक सौन्दर्य देखा।
ठंड और कोहरे भरी सर्द हवाओं के बीच गंगा की इठलाती लहरों और अंधेरे को चीरते हुए भगवान सूर्य की किरणों की लालिमा देख दोनों विशिष्ट जन आह्लादित दिखे। घाट पर सुबह-ए- बनारस के मंच पर आध्यात्मिक संस्कृति, संगीत और योग का अतुलनीय समन्वय देख तमिलनाडु के राज्यपाल ने इसे सराहा। संगीत की सुरमयी रागों के साथ सेहत को लेकर जागरूक लोगों को योग करते और सिखाते योगी भी आकर्षण में रहे।
इस दौरान केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा कि अस्सी घाट पर काशी की आध्यात्मिक संस्कृति, संगीत और योग के अतुलनीय समन्वय की झलक देखकर अभिभूत हूं। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में ‘काशी तमिल संगमम-2023’ में सहभागिता का सुअवसर प्राप्त हुआ है। भारत की विविधता से भरी और सांस्कृतिक समन्वय के भावनात्मक धागों से जुड़ी दो महान संस्कृतियों का अदभुत साम्य देखकर मंत्रमुग्ध हूं। इस आयोजन से हमारे सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को भी बल भी मिलेगा। हमारा सौभाग्य है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में यह आयोजन हो रहा है और हमारा सौभाग्य है कि बीते वर्ष भी इस आयोजन में आने का सुअवसर मिला था। काशी और अस्सी जितना सुना था, उससे बेहतर है। जीवन भर यहां का आनंद आपके साथ चलता है।
गौरतलब हो कि अलसुबह गंगा की लहरों पर इठलाती सूर्य की किरणों की छटा सुबह-ए- बनारस के रूप में अब रागों-बंदिशों की महफिल के साथ सोने पर सुहागा साबित होने लगी है। कभी जहां विदेशियों के लिए सुबह-ए- बनारस नौका बिहार तक सीमित था, वहीं अब यह अपना नया विस्तार ले रहा है। सुबह-ए-बनारस उत्तर प्रदेश सरकार का एक अनोखा स्टार्ट-अप है। इसकी शुरुआत 2014 में निरंतर बहती गंगा से घिरे खूबसूरत शहर वाराणसी की ताजगी को ध्यान में रखते हुए की गई थी।