कोलकाता, 29 फरवरी। लोकसभा चुनाव का बिगुल बजने वाला है। उसके पहले राजनीतिक दलों ने चुनावी ताल ठोकना शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दो दिवसीय दौरे पर पश्चिम बंगाल आ रहे हैं। वे 01 और 02 मार्च कोआरामबाग तथा बरसात संसदीय क्षेत्र में चुनाव प्रचार करेंगे।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी जिलों के दौरे पर हैं और लगातार भाजपा पर हमलावर हैं। विपक्षी दलों के इंडी गठबंधन में रहने के बावजूद ममता ने राज्य में अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की है।

बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में से कई सीटें बेहद खास हैं जिन पर न केवल राज्य बल्कि पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं। ऐसी ही एक वीआईपी सीट है जलपाईगुड़ी लोकसभा सीट। वर्ष 2019 में यहां से भाजपा के टिकट पर डॉ. जयंत कुमार राय जीते थे। इस बार लड़ाई त्रिकोणीय होने वाली है क्योंकि तृणमूल कांग्रेस अलग उम्मीदवार उतारेगी और माकपा व कांग्रेस साझा उम्मीदवार उतार सकते हैं। इन दोनों दलों के उम्मीदवार की भाजपा से दिलचस्प टक्कर होगी।

क्या है भौगोलिक स्थिति

जलपाईगुड़ी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र पश्चिम बंगाल का महत्वपूर्ण संसदीय क्षेत्र है। 1952 में पहले लोकसभा चुनावों में इस संसदीय सीट का अस्तित्व नहीं था। देश के तीसरे लोकसभा निर्वाचन के लिए 1962 में इस संसदीय सीट का गठन किया गया। इस संसदीय क्षेत्र को कूचबिहार और जलपाईगुड़ी जिले के कुछ इलाकों को मिला कर बनाया गया है।

संभागीय और जिला मुख्यालय होने के कारण यहां सभी बड़े प्रशासनिक कार्यालय हैं। यह क्षेत्र प्राकृतिक रूप से बेहद सुंदर है। यहां पर गोरुमारा राष्ट्रीय उद्यान जीवों के लिए समृद्ध वन्य क्षेत्र है। यहां पर जलदापाड़ा वन्यजीव अभयारण्य भी लोगों की पसंदीदा जगहों में शामिल है। जलपाईगुड़ी राजबाड़ी देखने के लिए पर्यटक आते हैं।

राजनीतिक इतिहास

जलपाईगुड़ी लोकसभा सीट पश्चिम बंगाल का महत्वपूर्ण संसदीय क्षेत्र है। 2019 तक जलपाईगुड़ी सीट का प्रतिनिधित्व तृणमूल कांग्रेस के विजयचंद्र बर्मन कर रहे थे। देश में लगे आपातकाल के बाद इस सीट पर ज्यादातर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) का कब्जा रहा है, लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस के विजय चंद्र बर्मन यहां से जीत हासिल करने में कामयाब रहे। 1980 से इस सीट पर माकपा के महेंद्र कुमार रॉय काबिज थे।

 

कुल मतदाता- 15 लाख 31 हजार 469

 

पुरुष वोटरों की संख्या- सात लाख 95 हजार 704

 

महिला वोटरों की संख्या- सात लाख 35 हजार 760