नई दिल्ली, 04 दिसंबर। राज्यसभा ने सोमवार को डाकघर विधेयक, 2023 को पारित कर दिया। केन्द्रीय संचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने राज्यसभा में विधेयक पेश किया। उन्होंने कहा कि नए कानून का पूरा ध्यान मेल डिलीवरी से सेवा डिलीवरी और डाकघर से बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने से जुड़े बदलाव में सहायक बनना है।

विधेयक को पेश करते हुए केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि 125 साल पुराने भारतीय डाकघर अधिनियम में संशोधन इस बात को दर्शाता है कि एनडीए के शासन के तहत पिछले नौ वर्षों में डाकघरों और डाक संस्थानों को कैसे पुनर्जीवित किया गया है।

उन्होंने कहा कि पिछले साढ़े नौ वर्षों में डाक सेवाएं, डाकघर और डाकिये केवल पत्रचार तक सीमित नहीं है, बल्कि सेवा मुहैया कराने वाले संस्थान में बदल गए हैं। इन सालों में डाकघर एक तरह से बैंक बन गए हैं। डाक व्यवस्था को बैंकिंग व्यवस्था में बदलने का बड़ा माध्यम इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक ने महिलाओं के लिए 3.5 करोड़ खाते खोले हैं।

उन्होंने बताया कि 2004 से 2014 तक 660 डाकघर बंद हो गए, लेकिन 2014 से 2023 तक लगभग 5,000 डाकघर खोले गए और लगभग 5,746 नए डाकघर खोले जाने की प्रक्रिया में हैं।

इस दौरान सांसदों ने राज्य की सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, आपातकाल, सार्वजनिक सुरक्षा जैसे कारणों से पोस्ट की जाने वाली किसी भी वस्तु को रोकने, खोलने या जब्त करने के लिए केंद्र सरकार को दी जा रही शक्तियों पर चिंता जताई। इसके जवाब में केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए यह बेहद जरूरी है।

विधेयक के अनुसार नए अधिनियमन देश में डाकघरों के कामकाज को नियंत्रित करने और नागरिक-केंद्रित सेवाओं के वितरण के लिए डाकघरों को एक नेटवर्क में विकसित करने की सुविधा के लिए एक सरल विधायी ढांचा प्रदान करने की दृष्टि से लाया गया है।

विधेयक में डाक सेवाओं के महानिदेशक को आवश्यक गतिविधियों के संबंध में नियम बनाने और सेवाओं के लिए शुल्क तय करने का अधिकार होगा।

कानून के तहत केंद्र अधिसूचनाओं के माध्यम से किसी भी अधिकारी को राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों, सार्वजनिक व्यवस्था, आपातकालीन या सार्वजनिक सुरक्षा के हित में या किसी भी उल्लंघन की घटना पर किसी भी वस्तु को रोकने, खोलने या हिरासत में लेने का अधिकार दे सकता है।

विधेयक को पारित करने के बाद राज्यसभा की कार्यवाही को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया।