
रांची, 17 जुलाई । कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने गुरुवार को भूमि संरक्षण कार्यालय रांची और और नामकुम के सिदरौल स्थित भगवान बिरसा मुंडा लाह मूल्य संवर्द्धन शोध एवं प्रशिक्षण केंद्र का औचक निरीक्षण किया।
निरीक्षण के दौरान उन्होंने कहा योजनाओं को गति देने और कार्य संस्कृति में बदलाव की बात पर जोर दिया। उन्होंने कार्यालय में कर्मचारियों और अधिकारियों की उपस्थिति, कार्य संस्कृति, योजनाओं से संबंधित कार्य प्रगति रिपोर्ट की भी जानकारी ली।
भूमि संरक्षण विभाग के अंतर्गत डीप बोरिंग, परकोलेशन टैंक, तालाब के जीर्णोद्धार से संबंधित विधायकों के अनुशंसा पत्र को देखा।
वहीं मंत्री ने ट्रैक्टर वितरण और पंपसेट वितरण की प्रक्रिया को सरल बनाते हुए सरकारी अनुदान पर लाभुकों को इसका ज्यादा से ज्यादा लाभ देने का निर्देश दिया।
स्थल निरीक्षण में सुस्ती से मंत्री नाराज
मौके पर मंत्री ने कहा है कि अक्टूबर माह में काम की शुरुआत हो जानी चाहिए। योजना को समय सीमा के अंदर शुरू करने को लेकर भूमि संरक्षण विभाग की ओर से सभी जिलों को भी इससे संबंधित निर्देश जारी किया जाएगा। विधायकों की ओर से अनुशंसित योजना का अधिकारियों के स्तर पर स्थल निरीक्षण में सुस्ती से मंत्री नाराज दिखीं।
उन्होंने विभाग के अधीन संचालित योजनाओं को गति देने के लिए समय सीमा का निर्धारण करते हुए टास्क दिया।
मंत्री ने कहा कि विधायकों के अनुशंसा पत्र का योजनावार समरी तैयार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विभाग के जेई और एई अगस्त माह के अंत तक योजना स्थल निरीक्षण का कार्य हर हाल में पूर्ण करेंगे। इसके बाद प्रखंड विकास पदाधिकारी और अंचलाधिकारी के समक्ष जांच रिपोर्ट की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। सितंबर माह में योजना से संबंधित सूची तैयार कर जिला उपायुक्त के समक्ष अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा।
इधर, नामकुम के सिदरौल स्थित भगवान बिरसा मुंडा लाह मूल्य संवर्द्धन शोध एवं प्रशिक्षण केंद्र का औचक निरीक्षण के क्रम में मंत्री ने प्रशासनिक भवन के साथ-साथ लाह गोदाम का निरीक्षण किया। लाह केंद्र में कच्चा लाह का संग्रहण के साथ-साथ प्रसंस्करण और किसानों को प्रशिक्षण देने का कार्य किया जाता है। मंत्री ने संस्थान में लाह प्रशिक्षण के लिए मौजूद उपकरण और संसाधन के रख-रखाव को लेकर बरती जा रही लापरवाही में सुधार लाने का निर्देश दिया है।
मंत्री ने लाह केंद्र में ज्यादा से ज्यादा किसानों को प्रशिक्षित करने की बात कही। ताकि लाह उत्पादन से लेकर प्रसंस्करण में नई उपलब्धियों को हासिल किया जा सके।