
कोलकाता, 03 सितम्बर। पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन के बहुचर्चित नकद के बदले नौकरी घोटाले की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय को संदेह है कि हाल ही में प्रकाशित की गई दागी अभ्यर्थियों की सूची जानबूझकर घटाकर पेश की गई है, ताकि घोटाले की वास्तविक आय को कम दिखाया जा सके।
पिछले सप्ताह कमीशन द्वारा जारी सूची में कुल 1806 दागी उम्मीदवारों का ही उल्लेख किया गया था। यह संख्या उन लोगों को भी चौंकाने वाली लगी, जो शुरू से ही इस घोटाले से जुड़ी कानूनी प्रक्रिया में सक्रिय रहे हैं। ईडी अधिकारियों का मानना है कि घोटाले से जुड़े जब्त और कुर्क किए गए भारी-भरकम अवैध धन की तुलना में यह संख्या बेहद कम है।
सूत्रों के मुताबिक, ईडी को शक है कि यह कटी-छंटी सूची एक सोची-समझी रणनीति के तहत तैयार की गई, ताकि यह तर्क स्थापित किया जा सके कि कम अभ्यर्थी, तो घोटाले की कम आय और लाभार्थियों की छोटी श्रृंखला। हालांकि, जांच एजेंसी के पास ऐसे कई अन्य नाम भी सामने आए हैं, जिन्होंने नौकरी पाने के लिए मोटी रकम चुकाई, लेकिन वे इस आधिकारिक सूची में शामिल नहीं हैं।
ईडी अधिकारियों का मानना है कि इस कटी-छंटी सूची के पीछे जो मकसद रहा होगा, वह अंततः सफल नहीं होगा।
इस बीच, कानूनी विशेषज्ञों ने भी इस सूची पर सवाल उठाए हैं। कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और भाजपा सांसद अभिजीत गांगुली तथा वरिष्ठ अधिवक्ता एवं माकपा राज्यसभा सांसद बिकास रंजन भट्टाचार्य दोनों ने कहा है कि कमीशन द्वारा जारी सूची कटी-छंटी है और कई और नाम सामने आ सकते हैं।
दोनों का दावा है कि असल में दागी उम्मीदवारों की संख्या केवल 1806 नहीं, बल्कि करीब 6000 या उससे भी अधिक हो सकती है। उनका आरोप है कि यह सूची छिपाने के लिए जारी की गई है, उजागर करने के लिए नहीं।