टोंक, 10 जनवरी। जिले के डिग्गी स्थित भूरिया महादेव मन्दिर की 75 वर्षीय संत की हत्या चोरों ने की थी। संत रात को मंदिर में सो रहे थे। वहां दो युवक चोरी करने आए थे। आंख खुलने पर संत ने विरोध किया तो बदमाशों ने उन पर हमला कर दिया था। करीब साढ़े चार माह पहले हुई इस वारदात में पुलिस को बुधवार को सफलता हाथ लगी। पुलिस ने इस मामले में दो आरोपितों को गिरफ्तार किया है।

आरोपितों ने संत की हत्या मंदिर में चोरी करते समय विरोध करने पर की थी। इस हत्या में तीन अन्य आरोपित फरार हैं। पुलिस उनकी गिरफ्तारी के लिए प्रयास कर रही है। ये सभी आरोपित एक दूसरे के परिचित हैं। एसपी राजर्षि राज वर्मा ने बताया कि डिग्गी में भूरिया महादेव मन्दिर है। यहां करीब 40 साल से संत सियाराम दास बाबा पुजारी के रूप में रह रहे थे। इनकी 29 अगस्त 2023 की रात में हत्या कर दी गई थी। संत का शव मंदिर में ही लहूलुहान हालत में पड़ा मिला तो लोगों में आक्रोश फैल गया। आरोपित वहां से 45 हजार रुपये की चोरी भी कर ले गए थे। इसका पता लोगों को दूसरे दिन लगा। लोगों ने हत्यारों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर बाजार बंद कर प्रदर्शन भी किया था। जांच अधिकारी मालपुरा डीएसपी चक्रवर्ती सिंह के नेतृत्व में टीम ने तकनीकी सहायता, मुखबिर आदि की मदद ली तथा पांच सौ संदिग्धों से पूछताछ की। सीसीटीवी फुटेज खंगाले गए। इसके बाद दो संदिग्धों को थाने लाकर फिर पूछताछ की तो उन्होंने हत्या करना कबूल कर लिया।

जोधाराम उर्फ जोध्या उर्फ मुकेश (26) पुत्र सूरमल मोग्या निवासी राजपुरा थाना लाम्बा हरि सिंह हाल गैलपुर पुलिस थाना अरांई जिला अजमेर और दूसरा आरोपित बालू उर्फ रामावतार (25) पुत्र प्रेमा मोग्या निवासी भवानीपुरा थाना डिग्गी जिला टोंक है। जोधाराम उर्फ जोध्या को अजमेर जिले के अरांई क्षेत्र से और बालू को मालपुरा क्षेत्र से कल शाम को पूछताछ के लिए पकड़ कर डिग्गी थाने लाए थे। एसपी वर्मा ने बताया कि दोनों आरोपित आपराधिक प्रवृत्ति के हैं। आरोपित जोधाराम गंभीर प्रवृत्ति का बदमाश है। इसके खिलाफ थाना दूनी में वर्ष 2011 में हत्या, पुलिस थाना बौंली जिला सवाईमाधोपुर में हत्या एवं पुलिस थाना चौथ का बरवाड़ा जिला सवाईमाधोपुर में नकबजनी व पुलिस हिरासत से हवालात तोडकर भागने के मामले दर्ज हैं। वहीं दूसरे आरोपित बालू उर्फ रामावतार के खिलाफ पुलिस थाना डिग्गी के तीन मंदिरों में नकबजनी करने का प्रकरण दर्ज हैं।

आरोपितों ने मर्डर से पहले मंदिर में चोरी करने का प्लान बनाया। इसके लिए आरोपित बालू मोग्या ने घटना से कुछ दिन पहले मन्दिर की रैकी की। उसके बाद दूसरे आरोपित जोधाराम मोग्या को वारदात करने के लिए बुलाया। इन दोनों ने इनके तीन साथियों को भी बुलाया। पांचों हथियार लेकर बाइक से मंदिर में चोरी करने के लिए 29 अगस्त की रात रवाना हुए। सभी डिग्गी कस्बे के पास सुनसान जंगल में छिप गए। फिर रात को मोटरसाइकिलों पर घटनास्थल के पास पहुंचकर बाइकों को छिपा दिया। फिर मध्य रात को खेतों के रास्ते पैदल मन्दिर में प्रवेश कर चोरी का प्रयास किया। इसी दौरान मंदिर में सो रहे संत सियाराम दास जाग गए। उन्होंने चोरी करने का विरोध किया तो सभी आरोपितों ने संत के सिर पर दनादन वार कर दिए। इससे वे अचेत होकर गिर पड़े। आरोपितों ने संत के पास रखी चाबी निकाल कर कमरे में घुसकर वहां रखे करीब 45 हजार रुपये निकालकर भाग छूटे। आरोपितों को उसी वक्त संदेह हो गया था कि मारपीट की वजह से संत की मृत्यु हो गई है। घटना के बाद सभी आरोपितों ने रुपयों का आपस में बंटवारा कर अपने-अपने स्थानों पर चले गये और खेतों की रखवाली के काम में लग गए, जिससे किसी को उन पर संत की हत्या का शक नहीं हो।