
रांची, 16 जून । राज्य में नर्सिंग होम और हॉस्पिटल से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण को लेकर झारखंड ह्यूमन राइट कनफेडरेशन की जनहित याचिका की सुनवाई सोमवार को झारखंड हाई कोर्ट में हुई। मामले में बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण की व्यवस्था पर राज्य के लगभग सभी जिलों के डीसी की ओर से जवाब दाखिल किया गया। बताया गया कि अस्पतालों से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट का सही तरीके से निस्तारण किया जा रहा है।
हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने डीसी की ओर से दी गई रिपोर्ट की जांच कर झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। अब कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई जुलाई माह में निर्धारित की है। दरअसल, फरवरी 2025 को पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राज्य के सभी जिलों के डीसी से पूछा था कि उनके जिले में स्थित नर्सिंग होम एवं हॉस्पिटल से निकलने वाले बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण की क्या व्यवस्था है, इस पर उनसे शपथ पत्र मांगा था।
पूर्व की सुनवाई के दौरान झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से कोर्ट को बताया गया था कि झारखंड में अभी पांच जगहों लोहरदगा, रामगढ़, पाकुड़ धनबाद एवं आदित्यपुर में बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट चल रहे हैं। जबकि देवघर में अभी बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट बन रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इन वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट को चालू रखने के लिए अनुमति देना था जिसे उसने दे दिया था।
उल्लेखनीय है कि प्रार्थी ने याचिका में झारखंड में एनवायरमेंटल प्रोटक्शन एक्ट के अंतर्गत बायो मेडिकल वेस्ट डिस्पोजल मैनेजमेंट रूल को लागू कराने का आग्रह किया है। साथ ही कहा गया है कि राज्य में अस्पतालों क्लीनिक, नर्सिंग होम आदि जगहों से बायोमेडिकल वेस्ट का निष्पादन के लिए एनवायरमेंटल प्रोटेक्शन एक्ट के तहत बायो वेस्ट मैनेजमेंट हैंडलिंग रूल का प्रावधान झारखंड में लागू होना चाहिए।