-2 बच्चों का चल रहा है इलाज, 5 सैम्पल पुणे भेजे गए

हिम्मतनगर, 13 जुलाई । साबरकांठा और अरवल्ली जिले में चांदीपुरम वायरस के संदिग्ध केस मिलने से स्वास्थ विभाग के कान खड़े हो गए हैं। हिम्मतनगर सिविल हॉस्पिटल में जून और जुलाई दो महीने के दौरान 4 बच्चों की मौत होने की खबर है। वहीं, 2 अन्य बालकों का अभी इलाज किया जा रहा है। इन सभी बच्चों में चांदीपुरम वायरस के लक्षण मिलने के बाद 5 सैम्पल जांच के लिए पुणे स्थित प्रयोगशाला में भेजे गए हैं। इसकी रिपोर्ट सोमवार को आने की संभावना है।

अलग लक्षण देखकर सैम्पल जांच के लिए भेजे : एआरएमओ

जानकारी के अनुसार हिम्मतनगर सिविल हॉस्पिटल में जून में एक बालक की मौत के बाद जुलाई में अन्य 3 बालकों की अलग-अलग तारीखों में मौत हुई। हिम्मतनगर सिविल हॉस्पिटल में पिछले 17 दिनों में 4 बालकों की मौत और 2 अन्य बालकों के एक समान लक्षण से पीड़ित होकर भर्ती होने के बाद प्रशासन ने संदिग्ध चांदीपुरम वाइरस होने की आशंका व्यक्त करते हुए इन बच्चों के सैम्पल जांच के लिए भेजे।

इस संबंध में हिम्मतनगर सिविल हॉस्पिटल के असिस्टेंट आरएमओ डॉ. विपुल जानी ने बताया कि हिम्मतनगर सिविल हॉस्पिटल में राजस्थान, अरवल्ली और साबरकांठा जिले से 27 जून से 9 जुलाई के दौरान 4 बच्चों की अलग-अलग तारीखों में मौत हुई। वहीं, 2 बच्चों का अभी इलाज किया जा रहा है। मृतक और इलाज करा रहे बच्चों में बुखार, उल्टी-दस्त और मिर्गी का दौरा पड़ने के लक्षण पाए गए। इसके बाद पीडियाट्रिशियन टीम के आशंका जताने पर इनके सैम्पल पुणे जांच के लिए भेजे गए।

2 से 9 वर्ष के बच्चे पीड़ित

हिम्मतनगर सिविल हॉस्पिटल में पहला केस 27 जून, 2024 को राजस्थान के उदेपुर जिले की खेरवाडा तहसील के पलेचा गांव के 4 वर्षीय बालक की मौत के रूप में पहचान की गई। इसके बाद 5 जुलाई को अरवल्ली जिले की भिलोडा तहसील के मोटा कंथारिया की 6 वर्षीय बालिका की मौत हो गई। 9 जुलाई को साबरकांठा जिले के कोडारिया गांव के 5 वर्षीय बालक और अरवल्ली जिले के तानपुर के 2 वर्षीय बालक की मौत हो गई। इस तरह 17 दिनों के अंदर 4 बालकों की मौत हो गई। वहीं 8 जुलाई को राजस्थान के उदेपुर जिले के अकीवाडा गांव की 4 वर्षीय बालिका और 9 जुलाई को साबरकांठा जिले की हिम्मतनगर तहसील के पीपलिया गांव की 9 वर्षीय बालिका को बीमारी के समान लक्षण देखते हुए भर्ती किया गया है।

क्या है चांदीपुरम वाइरस

यह एक ऐसा खतरनाक वाइरस है जो सीधे बच्चों के मस्तिष्क में अटैक करता है। इसके कारण मस्तिष्क में सूजन आ जाता है। शुरुआत में फ्लू के लक्षण दिखाई देते हैं, लेकिन आगे बच्चा सीधे कोमा में चला जाता है। इस वाइरस का नाम एक गांव के नाम पर रखा गया है, जो कि महाराष्ट्र का एक छोटा-सा गांव है। पहली बार 1965 में इस वाइरस से बीमार बच्चे का मामला सामने आया था। सामान्य रूप से यह वाइरस 14 साल के छोटे बच्चे को अपना शिकार बनाता है। यह वाइरस मच्छर और बड़ी मक्खियों से फैलता है। सेंड फ्लाई नामक मक्खियों की यह ऐसी प्रजाति है जो कीचड़ में पाई जाती है। बरसात के दिनों में इसकी संख्या तेजी से फैलती है।