ओंकार समाचार

कोलकाता/केरल 16 जनवरी। ‘शब्दाक्षर’ की ओर से केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम के यूनिवर्सिटी विमेन्स असोसियेशन हॉल में, शनिवार को सायंकाल में मन भावन कविताएँ मुखरित की गईं। ‘शब्दाक्षर’ साहित्य संस्था की प्रदेश अध्यक्ष डॉ .पी.लता की अध्यक्षता में संपन्न कवि सम्मेलन का शुभारंभ डॉ. लक्ष्मी एस.एस. के भक्तिसान्द्र के प्रार्थना गीतालाप से हुआ। डॉ.एस. तंकमणि अम्मा ने सम्मेलन का उद्घाटन किया। मुख्य अतिथि डॉ.एन.जी देवकी ने नव वर्ष की शुभ कामनाएँ दीं और भगवान श्री रामचन्द्र पर एक भक्तिपूर्ण कविता प्रस्तुत की।

डॉ.आशा एस नायर की ‘प्रार्थना’ कविता भी भगवान श्री रामचन्द्र  पर केन्द्रित थी। ‘औरत’ कविता (डॉ. के. पी. उपाकुमारी) का भाव यह था कि स्त्रियों के बिना यह संसार अधूरा है, किन्तु उनके सुख दुख की चिंता कोई नहीं करता। प्रो. के. सती की कविता ‘कालजयी सुमित्रा’  माता सुमित्रा के महत् विचार पर प्रारूपित थी। ‘कविता  का जन्म’ कविता (डॉ. डी. लता) में कवि को कविता करने की कुछ प्रेरक शक्तियों पर विचार किया गया। ‘एहसान’ (डॉ. के.वी. रंजिता राणी) की कविता का भाव यह था कि एहसानमंद को खुद मेहरबान भी होना चाहिए। एक हाथ से लेना है और दूसरे हाथ से ज़्यादा देना है। ‘ढलती उम्र की दास्तान’ (डॉ.अंबिली टी.) की कविता बुढ़ापे पर थी, जैसे-

‘जीवन का अंतिम पड़ाव है बुढ़ापा

यह दौर तो कितना अजीब है। ‘और नहीं ‘ कविता में श्री सुजित एस. का मत था कि हमें खून से भीगा इतिहास पढ़ाना और भविष्य का डर दिखाना सही नहीं क्योंकि हम वर्तमान में जी रहे हैं। नवोदित कवि जे.एस.अखिल की समकालीन कविता ‘ भूख ‘ की पंक्तियाँ हैं-

ईमानादार ने अपनी ईमानदारी खो दी।

ज़िम्मेदार ने अपनी ज़िम्मेदारी छोड़ दी।

इस भूख ने जाने ऐसा क्या किया,

कि सबको हाथ फैलाने में मज़बूर कर दिया।

रंजीत रवि शैलम ने कवि सम्मेलन का सुचारु संचालन किया और भावमयी कविता भी प्रस्तुत की। अन्त में  ‘शब्दाक्षर’ केरल की प्रदेश अध्यक्ष पी. लता ने राष्ट्रीय अध्यक्ष ‘शब्दाक्षर’ रवि प्रताप सिंह के शुभ कामना सन्देश का वाचन किया, जिसमें सिंह ने दक्षिण भारतीय अहिन्दी राज्य केरल में हिंदी की अलख जगाने के लिए, केरल प्रदेश इकाई की सराहना की।