पश्चिमी सिंहभूम, 23 सितंबर । कोल्हान विश्वविद्यालय , जिसे कभी कोल्हान क्षेत्र की शैक्षणिक रीढ़ माना जाता था, आज अपनी पहचान और गरिमा खो चुका है।

मुख्यालय चाईबासा में होने के बावजूद विश्वविद्यालय पूरी तरह बदहाल और पंगु स्थिति में है। कुलपति का आलीशान आवास चाईबासा में होने के बावजूद वे यहां नहीं रहते हैं।  डीन, रजिस्ट्रार, वित्त पदाधिकारी और विभागाध्यक्ष जैसे शीर्ष पदाधिकारी भी मुख्यालय से नदारद हैं। विश्वविद्यालय का संचालन केवल फोन कॉल और वीडियो कॉल के भरोसे किया जा रहा है, जो क्षेत्र के लाखों छात्रों के साथ अन्याय और मजाक जैसा है।

इस गंभीर स्थिति को देखते हुए एंटी करप्शन ऑफ इंडिया के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष रामहरि गोप ने मंगलवार को पश्चिमी सिंहभूम जिला के उपायुक्त चंदन कुमार को झारखंड के राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा।

ज्ञापन में मांग की गई है कि कुलपति और सभी शीर्ष प्रशासनिक पदाधिकारी तुरंत चाईबासा मुख्यालय में निवास और कार्य करें, डीन और विभागाध्यक्षों की मुख्यालय में उपस्थिति अनिवार्य की जाए, विश्वविद्यालय में स्थायी प्रवक्ता की नियुक्ति की जाए, लंबित शैक्षणिक सत्रों को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए विशेष रोडमैप बनाया जाए, उच्चस्तरीय टीम की ओर से प्रशासन पर निगरानी रखी जाए और लापरवाह पदाधिकारियों पर कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।

वास्तविक स्थिति यह है कि विश्वविद्यालय का मुख्यालय लगभग वीरान पड़ा है। केवल परीक्षा नियंत्रक रिंकी दोराई नियमित रूप से कार्यरत हैं। प्रवक्ता की अनुपस्थिति के कारण छात्र, शोधार्थियों और मीडिया को समय पर सही जानकारी नहीं मिल पा रही है।

इस लापरवाही का सबसे बड़ा खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। कला स्नातक (बीए), विज्ञान स्नातक (बीएससी), वाणिज्य स्नातक (बीकॉम), नर्सिंग, बीएड, कला स्नातकोत्तर (एमए), विज्ञान स्नातकोत्तर (एमएससी), वाणिज्य स्नातकोत्तर (एमकॉम), एमएड – लगभग सभी पाठ्यक्रमों के सत्र बेतहाशा विलंबित हैं। परीक्षाएं और परिणाम महीनों से लटके हुए हैं, इससे छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं में पिछड़ रहे हैं और उनका भविष्य अंधकार में धकेला जा रहा है।

छात्रों का कहना है कि वे मेेहनत से पढ़ाई कर रहे हैं लेकिन विश्वविद्यालय की लापरवाही ने हमारे कैरियर को बर्बाद कर दिया है। जब तक प्रशासन सुधरेगा, तब तक हम प्रतियोगी परीक्षाओं में पीछे रह जाएंगे। अभिभावक भी बेहद नाराज हैं और कहते हैं कि वे अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए कर्ज लेकर फीस भरी, लेकिन बदले में विश्वविद्यालय केवल वादे और देरी दे रहा है। यदि यही हाल रहा तो कोल्हान के बच्चों का भविष्य पूरी तरह चौपट हो जाएगा।