जादू गोड़ा नृत्‍य

पूर्वी सिंहभूम, 18 सितंबर। झारखंड की विलुप्त होती सांस्कृतिक धरोहर डोंगरे नृत्य और पारंपरिक परंपराओं को संरक्षित करने की दिशा में रसिया क्लब, जादूगोड़ा ने गुरुवार को मोड़ चौक पर विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया।

कार्यक्रम में आदिवासी समुदाय की स्त्रियाँ और पुरुष पारंपरिक वेशभूषा में सजे-धजे नजर आए। सेंदरा पर्व की खुशियों के बीच उन्होंने जब डोंगरे नृत्य प्रस्तुत किया तो पूरा जादूगोड़ा झूम उठा। कार्यक्रम स्थल पर भारी संख्या में लोग उमड़े और तालियों की गड़गड़ाहट के बीच कलाकारों का उत्साह दोगुना हो गया।

लोगों ने कहा कि इस प्रकार के आयोजन से झारखंड की पहचान और सांस्कृतिक जड़ों को संजोने का संदेश समाज तक पहुंचेगा। कार्यक्रम ने न केवल स्थानीय संस्कृति को जीवंत किया, बल्कि नई पीढ़ी को भी अपनी परंपराओं से जोड़ने का काम किया।

डोंगरे नृत्य सन्थाल आदिवासी समुदाय की पारंपरिक लोक नृत्य विधा है।  इस नृत्य में नर्तक (आमतौर पर पुरुष) तेज गति और ऊर्जावान कदमों के साथ संगीत की ताल पर तालमेल बनाते हैं। संगीत में ड्रम, “मंदर”, नगाड़ा, विविध लोक वाद्ययंत्रों का प्रयोग होता है।

यह नृत्‍य प्रकृति के प्रति सम्मान, समुदाय की परंपरागत जीवनशैली और जंगल के साथ उनके जुड़ाव को दर्शाता है। जंगलों से सम्बन्धित रस्मों, जंगल में जाने की संभावनाओं और प्रकृति की आपदाओं से संयुक्त अनुभव इस नृत्य में झलकते हैं।