हरिद्वार, 20 अक्टूबर। हरिद्वार में प्रवाहमान गंगा लोगों को तारती है, लेकिन जब उसमें जल नहीं होता तब भी वह गरीबों का पेट भरती है।

आजकल गंगा वार्षिक क्लोजर के लिए बंद है और उसमें जल नहीं है। हर साल दशहरे से लेकर दीपावली के बीच गंगाबंदी होती है। इस समय गंगा में स्नान करने वाले श्रद्धालु तो नहीं दिखेंगे, लेकिन सूखी गंगा में हजारों लोग कुदाल, बरछी, खुरपी लेकर उतरे हुए दिखते हैं। यह लोग श्रद्धालुओं द्वारा गंगा में डाली गई सोने चांदी की चीजें , सिक्के व आभूषण आदि ढूंढ रहे हैं। किस्मत वालों के हाथ मूल्यवान वस्तुएं लग रही हैं। सिक्कों के रूप में रोजाना हजार पांच सौ तो सभी को मिल ही जाते हैं।

युवा तीर्थ पुरोहित तथा गंगा सेवक दल के प्रमुख उज्ज्वल पंडित ने बताया कि गंगा में अस्थियां प्रवाहित करने आए लोग अपने मृत परिजनों के आभूषण भी प्रवाहित कर देते हैं। बहुत से लोगों को ज्योतिषी भी कालसर्प व अन्य दोषों को दूर करने के लिए गंगा में सोने व चांदी की चीजें व सर्प चढ़ाने की सलाह देते हैं। श्रद्धा के कारण प्रायः श्रद्धालु सिक्के गंगाजी में चढा़ते हैं। इसी खजाने को गंगा सूखने पर प्राप्त करने के लिए लोगों का हुजूम गंगा में उतरा हुआ है।