कोलकाता, 19 सितम्बर ।
पश्चिम बंगाल में दुर्गा पूजा आयोजकों के बीच एक से बढ़कर एक आकर्षक पंडाल बनाने की होड़ लगी हुई है। इस सबके बीच कुछ आयोजनों में राजनीतिक रंग भी दिखने लगे हैं। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने दुर्गा पूजा को अपने-अपने राजनीतिक विमर्श के केंद्र में लाकर जमीनी स्तर पर सीधी भिड़ंत शुरू कर दी है।
टीएमसी से जुड़े पंडालों ने इस वर्ष ‘बंगाली अस्मिता’ (गौरव) को अपनी थीम बनाया है। इसमें प्रवासी बंगाली मजदूरों की कठिनाइयों और बंगाली संस्कृति-परंपराओं को उभारते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद को बंगाल की पहचान और अस्मिता की संरक्षक के रूप में प्रस्तुत कर रही हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार यह चुनावी रणनीति का ही हिस्सा है, जिससे यह संदेश दिया जा सके कि बनर्जी “बंगाल विरोधी ताकतों” के विरुद्ध बंगाल की संस्कृति की रक्षा कर रही हैं। मुख्यमंत्री ने सभी पूजा समितियों को 1.10 लाख रुपये का अनुदान देने की घोषणा की है। इसके अलावा वे कई पंडालों का उद्घाटन भी स्वयं करेंगी।
इस रणनीति का बड़ा उदाहरण सुरुचि संघ का पंडाल है, जिसे राज्य के मंत्री अरुप विश्वास आयोजित कर रहे हैं। यहां थीम पूरी तरह से बंगाली धरोहर और गर्व पर आधारित है। एक वरिष्ठ टीएमसी नेता ने स्पष्ट कहा, “यह हमेशा से हमारी पहचान रही है, और इस बार हम चाहते हैं कि पूजा उसी भावना को प्रतिबिंबित करे।”
दूसरी ओर भाजपा ने इसके जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ थीम के तहत राष्ट्रीय गौरव और सैन्य शक्ति को केंद्र में रखा है। कोलकाता के मशहूर संतोष मित्रा स्क्वायर सार्वजनिन दुर्गा उत्सव में एस-400 मिसाइल सिस्टम और ब्रह्मोस जैसी आधुनिक रक्षा तकनीकों के मॉडल प्रदर्शित किए जाएंगे। भाजपा नेता और आयोजक सजल घोष ने बताया, “हम आमतौर पर राष्ट्र से जुड़े विषयों को प्रदर्शित करते हैं। इस साल हमें लगा कि सैनिकों के साहस और पराक्रम को दिखाना जरूरी है। यहां कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है, अगर अन्य लोग अस्मिता की बात करना चाहते हैं तो वह उनकी मर्जी है।”
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने भी इस थीम को मजबूती से आगे बढ़ाया है। केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने बालुरघाट में अपने पंडाल के उद्घाटन पर कहा, “भारतीय सशस्त्र बलों के साहस को सलाम किया जाना चाहिए। उन्होंने राष्ट्र के लिए महान कार्य किए हैं और उन्हीं की वजह से हम चैन की नींद सो पाते हैं। जहां तक बंगाली अस्मिता की बात है, वह भारत की अस्मिता से अलग नहीं हो सकती। यह केवल वोट बैंक की राजनीति है।”
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष शमिक भट्टाचार्य ने भी टीएमसी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “टीएमसी पंडाल थीम चाहे जो रखे, लेकिन इसमें कोई मुकाबला नहीं है। वे हमेशा बंकिमचंद्र के ‘वंदे मातरम’ का विरोध करते रहे हैं, अब वे अस्मिता की बात कैसे कर सकते हैं? यह पूरी तरह नकली नैरेटिव है।” भट्टाचार्य ने यह भी ऐलान किया कि इस बार भाजपा विभिन्न पंडालों में ‘वोकल फॉर लोकल’ अभियान चलाएगी और राष्ट्रवादी विचारधारा को फैलाने के लिए स्टॉल लगाएगी। साथ ही उन्होंने चुनौती दी, “यह टीएमसी का आखिरी पूजा है सत्ता में।”
