मंजूर किया वो इस्तीफा जो दिया ही नहीं गया, किया अदालत के आदेश का उल्लंधन
ओंकार समाचार
कोलकाता, 23 मई। गत तीन दशक से मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी के सचिव पद पर कब्जा जमाए बैठे गोविंद राम अग्रवाल ने मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी पर अपना एक छत्र राज कायम रखने के उद्देश्य से अदालत के आदेश का उल्लंघन करते हुए सोसायटी के सचिव प्रहलाद राय गोयनका के उस इस्तीफे को मंजूर कर लिया जो उन्हें दिया ही नहीं गया था। जबकि कलकत्ता सिटी कोर्ट ने गोविंदराम और उनके एजेंटों को 22 मई तक सोसायटी के काम काज से दूर रहने का आदेश जारी किया हुआ है। अदालत ने अब इस निषेधात्मक आदेश की अवधि एक माह के लिए बढ़ा दी है।
गोविंद राम ने 15 मई को मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी के व्हाट्सएप ग्रुप पर प्रहलाद राय गोयनका का इस्तीफा पोस्ट किया और फिर इस तथाकथित इस्तीफे को मंजूर करने के लिए 20 मई को सोसायटी की बैठक बुलाई। जबकि नवनिर्वाचित महासचिव गोयनका ने बैठक से चार दिन पूर्व ही 16 मई को इस्तीफा फर्जी होने के संबंध में पोस्ता थाने में एफआईआर दर्ज करवा दी थी और बैठक से दो दिन पूर्व 18 मई को मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी को सूचित कर दिया था कि यह इस्तीफा फर्जी है।
मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी को 18 मई भेजे पत्र में गोयनका ने कहा था कि सोसायटी की बैठक में जिस तथाकथित इस्तीफे पर विचार करने की बात हो रही है वह धोखाधड़ी से तैयार किया हुआ है। इसे उनका इस्तीफा नहीं समझा जाय। इसे रद्द कर दिया जाना चाहिए। पत्र में गोयनका ने स्पष्ट कहा है कि वह अपने वर्तमान पद पर बने रहना चाहते हैं और मारवाड़ी रिलीफ सोसयटी की सेवा करना चाहते हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि इस्तीफे का मसौदा उन्होंने तैयार किया था, हस्ताक्षर भी किए लेकिन यह वर्तमान 2024 के लिए चयनित कमेटी के लिए नहीं था। इसीलिए इस पर न तो कोई तारीख डाली गई और न ही इसे मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी के किसी पदाधिकारी को सौंपा गया। इस पत्र पर तारीख डालने और इसे मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी के पदाधिकारियों को सौंपने या इसे सर्कुलेट करने के लिए उनहोंने किसी को अधिकृत भी नहीं किया।
पोस्ता थाने में मामला दर्ज
15 मई को मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी के व्हाट्सएप ग्रुप पर गोविंद राम की ओर से पोस्ट किया गया इस्तीफा देखकर गोयनका ने गोविंद राम पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए पोस्ता थाने में एफआईआर दर्ज करादी। एफआईआर में गोयनका ने बताया कि सोसायटी अध्यक्ष गोविंदराम ने यह उनके एक पुराने पत्र का दुरुपयोग कर उन्हें बदनाम करने, परेशान करने तथा सोसायटी के कार्यक्रमों में भाग लेने और प्रशासनिक कार्य करने से रोकने के लिए पोस्ट किया है। एफआईआर में गोयनका ने कहा है कि उनके लिखे पत्र पर कोई तारीख अंकित नहीं थी, गोविंदराम ने स्वयं या अपने किसी आदमी को निर्देश देकर पत्र पर तारीख डलवाई।
मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी के नाम से पोस्ता थाने को भेजा पत्र
इस बीच मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी के नाम से एक पत्र पोस्ता थाना के प्रभारी को भेजा गया। जिसमें कहा गया है कि 20 मई को हुई सोसायटी की बैठक में प्रह्लादराय गोयनका का महासचिव और कार्यकारी समिति के सदस्य के पद से इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है। इस पत्र पर मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी के चेयरमैन के तौर पर दीनदयाल गुप्ता के हस्ताक्षर हैं। इस पत्र की प्रतिलिपि कर्मचारी संगठनों को भी भेजी गई है।
गोयनका ने पत्र को अनधिकृत बताया
इस संबंध में मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी के सचिव प्रह्लादराय गोयनका ने मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी के कर्मचारियों, पोस्ता थाना प्रभारी एवं विभिन्न कर्मचारी संगठनों को पत्र भेज कर कहा है कि मारवाड़ी रिलीफ सासायटी के नाम से उन्हें जो पत्र भेजा गया है वह अनधिकृत है। गोयनका ने स्पष्ट किया है कि इस पत्र पर मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी के चेयरमैन के तौर पर दीनदयाल गुप्ता के हस्ताक्षर हैं, जो इसके लिए अधिकृत नहीं है।
यह पत्र मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी के कामकाज में विघ्न डालने के लिए भेजा गया है।
उन्होंने पत्र को अनधिकृत बताते हुए उसे अनदेखा करने और अपना कार्य यथावत करते रहने को कहा है।
अदालत के आदेश का उल्लंघन
गोयनका ने मारवाड़ी रिलीफ सोसायटी के अध्यक्ष गोविंदराम अग्रवाल की इस कार्रवाई को अदालत के आदेश का उल्लंधन बताया है। उन्होंने बताया कि कलकत्ता सिटी सिविल कोर्ट ने 24 अप्रेल को एक आदेश जारी कर गोविंद राम अग्रवाल, उनके आदमियों, एजेंटों ,प्रतिनिधियों को 22 मई तक सोसायटी के कामकाज से दूर रहने का आदेश जारी किया था। गोयनका ने अपने पत्र के साथ अदालत के आदेश की प्रति भी संलग्न की है। अब कलकत्ता सिविल कोर्ट ने इस आदेश को एक माह के लिए 22 जून तक बढ़ा दिया है।
उल्लेखनीय है कि सोसायटी के 100 साल के इतिहास में गोविंदराम पहले ऐसे शख्स हैं जो तीन दशक से अधिक समय सचिव पद पर कब्जा किए हुए हैं। गोविंद राम के अलावा अन्य सभी सचिवों का कार्यकाल तीन वर्ष रहा है।