रांची, 2 सितंबर । मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने मंगलवार को मंत्रालय सभागार में आयोजित नियुक्ति पत्र वितरण और मेधा सम्मान समारोह में कहा कि राज्य सरकार झारखंड को शिक्षा के क्षेत्र में अलग पहचान दिलाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

समारोह में मुख्यमंत्री ने 33 नवनियुक्त स्नातकोत्तर प्रशिक्षित शिक्षकों, 909 सहायक आचार्यों (गणित और विज्ञान) और 33 प्रयोगशाला सहायकों में से कई को सांकेतिक रूप से नियुक्ति पत्र सौंपा। उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए संसाधनयुक्त विद्यालय और प्रशिक्षित शिक्षक अनिवार्य हैं।

कार्यक्रम में झारखंड एकेडमिक काउंसिल (जैक), सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड की 10वीं व 12वीं की परीक्षाओं के टॉपर्स को तीन लाख रुपये की सम्मान राशि, लैपटॉप और स्मार्टफोन देकर सम्मानित किया गया। जैक बोर्ड के टॉपर्स को स्कूटी भी दी गई। वहीं, सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के टॉपर्स को लैपटॉप और प्रमाणपत्र प्रदान किए गए।
सरकार संचालित आकांक्षा कोचिंग के सफल विद्यार्थियों और 10वीं की परीक्षा में शत-प्रतिशत रिजल्ट देने वाले विद्यालयों को भी सम्मानित किया गया।

मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि नेतरहाट आवासीय विद्यालय को अब को-एजुकेशन बनाया जाएगा। यहां लड़कियों का भी नामांकन होगा। साथ ही नेतरहाट की तर्ज पर तीन और विद्यालय खोले जाएंगे। उन्होंने कहा कि इन संस्थानों का उद्देश्य सरकारी विद्यालयों को निजी स्कूलों के बराबर या उनसे बेहतर बनाना है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकारी विद्यालयों की स्थिति लगातार बेहतर हो रही है। मुख्यमंत्री उत्कृष्ट विद्यालयों की लोकप्रियता इसका उदाहरण है, जहां नामांकन के लिए छात्रों में प्रतिस्पर्धा है। कई निजी विद्यालयों के बच्चे भी अब इन विद्यालयों में प्रवेश ले रहे हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा में उत्कृष्टता लाने के लिए विद्यार्थियों को विभिन्न माध्यमों से प्रोत्साहित किया जा रहा है। टॉपर्स को समय पर सम्मान राशि दी जाएगी ताकि वे आगे की पढ़ाई में आर्थिक बाधाओं से मुक्त रह सकें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड को शिक्षा और विकास के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने के लिए हर व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। सामूहिक प्रयासों से ही राज्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया जा सकता है।

कार्यक्रम में राज्य सरकार के मंत्री राधाकृष्ण किशोर, संजय प्रसाद यादव, शिल्पी नेहा तिर्की, राज्यसभा सांसद महुआ माजी, अपर मुख्य सचिव अविनाश कुमार, स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के सचिव उमाशंकर सिंह और राज्य परियोजना निदेशक शशि रंजन मौजूद रहे।