
कोलकाता, 21 जून ।
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल डॉ. सी वी आनंद बोस ने भारत की प्राचीन साधना ‘योग’ को वैश्विक स्तर पर गौरव दिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल की सराहना करते हुए देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं।
राज्यपाल ने अपने संदेश में कहा कि वर्ष 2014 में जब संयुक्त राष्ट्र ने प्रधानमंत्री मोदी के प्रस्ताव को स्वीकार कर 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया, तब से लेकर आज तक योग केवल भारत तक सीमित न रहकर पूरे विश्व में एकता का प्रतीक बन गया है।
राज्यपाल ने कहा, “पहले जहां योग एक व्यक्तिगत साधना था, आज वह एक वैश्विक जुड़ाव बन चुका है—मन, शरीर और आत्मा के मिलन का माध्यम।” उन्होंने इस दिन की महत्ता बताते हुए कहा कि यह हमें याद दिलाता है कि एक स्वस्थ शरीर और शांत मन ही हमारी सबसे बड़ी संपत्ति हैं। योग न केवल शरीर को सबल बनाता है, बल्कि मन को भी स्थिर और विचारों को स्पष्ट करता है।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष “योग संगम 2025” थीम के तहत अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है, जिसका संदेश है—”एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य”। राज्यपाल ने बताया कि देशभर के शहरों और गांवों में लाखों लोग एक साथ योगाभ्यास कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “मानो पूरा देश एक साथ सांस ले रहा हो।”
राजभवन, कोलकाता द्वारा इस ऐतिहासिक पहल का हिस्सा बनने पर भी गर्व व्यक्त करते हुए राज्यपाल ने कहा कि यह आंदोलन न केवल स्वास्थ्य बल्कि विश्व शांति और कल्याण के लिए भी एक अहम प्रयास है। उन्होंने कहा, “योग एक ऐसा माध्यम है, जिसे किसी भी उम्र में उचित मार्गदर्शन के साथ शुरू किया जा सकता है, और प्रतिदिन थोड़ी-सी साधना से शरीर व मन दोनों को स्वस्थ रखा जा सकता है।”
अपने संदेश के अंत में राज्यपाल ने कहा, “आज भारत योग के बंधन में एक हो गया है—शहर हो या गांव, पर्वत हो या समतल, धनी हो या गरीब—सभी योग की शक्ति को महसूस कर रहे हैं। आज कोई अकेला नहीं है, न भारत में और न ही दुनिया में। योग ने हमें एक वैश्विक परिवार में बांध दिया है।”
राज्यपाल बोस ने देशवासियों से आह्वान किया कि वे योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं—सर्वत्र, सर्वदा और सामूहिक रूप से।