कोलकाता, 26 अप्रैल  । जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में शहीद भारतीय सेना के विशेष बलों के जवान हवलदार झंटू अली शेख का पार्थिव शरीर शुक्रवार देररात नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लाया गया। शव को जब तिरंगे में लिपटे ताबूत में लाया गया, तो मौके पर मौजूद लोगों की आंखें नम हो गईं। राज्य के मंत्री फिरहाद हकीम ने शहीद को पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।इस दौरान हवाई अड्डे पर भारी संख्या में लोग इकट्ठा हुए और ‘भारत माता के वीर सपूत झंटू शेख अमर रहे’ के नारों से वातावरण गूंज उठा। पार्थिव शरीर को कोलकाता के एक शवगृह में रखा गया। पार्थिव शरीर को शनिवार सुबह नदिया जिले स्थित उनके पैतृक गांव ले जाया गया है।शहीद झंटू अली शेख अपने पीछे पत्नी, एक बेटी और एक बेटे को छोड़ गए हैं। वह तीन भाइयों में से एक थे, जिनमें से बड़े भाई रफीकुर शेख भी सेना में हैं। शेख की पत्नी ने मीडिया से कहा कि वह अब तक इस सच्चाई को स्वीकार नहीं कर पा रही हैं कि उनके पति अब कभी लौटकर नहीं आएंगे, न ही अपने बेटे और आसपास के बच्चों के साथ खेलेंगे। उन्होंने बताया कि गुरुवार सुबह उन्हें शेख का संदेश मिला था कि वे व्यस्त हैं और अगली सुबह बात करेंगे।उन्होंने कहा, “संदेश पढ़ने के बाद मैंने बेटे को स्कूल भेजा और अपने दिन के कामों में लग गई। लेकिन दोपहर में खबर मिली कि उन्हें गोली लगी है, लेकिन हालत स्थिर है। मुझे लगा वह जल्द ठीक हो जाएंगे, पर फिर असली खबर आई।” वह बोलीं, “मेरे पति देश के लिए समर्पित थे। ऑपरेशन के बारे में कभी कुछ नहीं बताते थे। उनके लिए पहले देश था, फिर परिवार और बाकी सब।”नदिया जिले स्थित उनके गांव में मातम पसरा हुआ है। शेख को जानने वाले उन्हें एक शांत, दयालु और अनुशासित इंसान के रूप में याद कर रहे हैं, जिनका सपना वर्दी पहनकर देश की सेवा करना था। सेना के मुताबिक, शेख सेना की छह पैरा स्पेशल फोर्स के जवान थे। गुरुवार को जम्मू-कश्मीर के डूधू-बसंतगढ़ इलाके में आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना के आधार पर सर्च ऑपरेशन चलाया गया था, जिसमें मुठभेड़ के दौरान वह बलिदान हो गए।