कोलकाता, 20 जनवरी ।आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज की डॉक्टर के बलात्कार और हत्या मामले में दोषी संजय रॉय को कोलकाता की सियालदह अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इस सजा पर राजनीतिक प्रतिक्रिया तेज हो गई है। जहां भाजपा ने इसे “अन्याय” करार दिया। वहीं, सीपीआईएम ने मौत की सजा का विरोध करते हुए इसे न्यायसंगत बताया।
भाजपा के आईटी सेल के प्रमुख और पश्चिम बंगाल के सह प्रभारी अमित मालवीय ने अदालत के फैसले की आलोचना की। उन्होंने कहा, “संजय रॉय को आजीवन कारावास और मात्र 50 हजार रुपये का जुर्माना देना न्याय का उपहास है। इस फैसले को चुनौती दी जानी चाहिए।”
मालवीय ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और तत्कालीन कोलकाता पुलिस आयुक्त पर सबूत नष्ट करने का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अपराधियों को बचाने से बाज आएं। जांच एजेंसियों को इस मामले में सबूत नष्ट करने के लिए ममता बनर्जी और तत्कालीन पुलिस आयुक्त की भूमिका की जांच करनी चाहिए। न्याय केवल होना ही नहीं चाहिए, बल्कि दिखना भी चाहिए।”
भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने भी फैसले पर असहमति जताते हुए कहा, “पश्चिम बंगाल की जनता इस बात पर विश्वास नहीं करती कि इस मामले में केवल एक ही व्यक्ति दोषी है।” उन्होंने दोषी को मौत की सजा की मांग की और कहा कि राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो चुकी है।
माकपा नेता बिकाश भट्टाचार्य ने फैसले को बताया सही
सीपीआईएम नेता और वरिष्ठ वकील बिकाश रंजन भट्टाचार्य ने अदालत के फैसले का समर्थन किया। उन्होंने कहा, “मृत्युदंड न देकर अदालत ने सही निर्णय लिया है। यह एक कठोर सजा है, और मौत की सजा देने का प्रावधान नहीं होना चाहिए। न्यायाधीश ने सभी सबूतों और तथ्यों को ध्यान में रखकर फैसला सुनाया है।”
सीपीआईएम ने इसे न्यायिक प्रक्रिया की जीत बताते हुए कहा कि इस फैसले से यह साबित हुआ कि न्यायपालिका स्वतंत्र और निष्पक्ष है। पार्टी ने राज्य सरकार को दोषी ठहराते हुए कहा कि ममता बनर्जी की सरकार ने इस मामले में पहले दिन से लापरवाही बरती और सबूतों को मिटाने की कोशिश की।
9 अगस्त 2024 को आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज की तीसरी मंजिल के सेमिनार हॉल में 31 वर्षीय डॉक्टर का शव मिला था। जांच में पता चला कि डॉक्टर के साथ बलात्कार के बाद हत्या की गई थी। इस मामले में पुलिस के हाथों अस्पताल के नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को गिरफ्तार किया गया था। बाद में हाई कोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने मामले की जांच शुरू की और आज सोमवार को अदालत ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 64 (बलात्कार), 66 (हत्या के लिए दंड), और 103 (1) (हत्या) के तहत दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
हालांकि, सीबीआई ने दोषी को मौत की सजा की मांग की थी, लेकिन न्यायाधीश अनिर्बाण दास ने इसे “दुर्लभतम से दुर्लभ” मामला मानने से इनकार करते हुए आजीवन कारावास का आदेश दिया। साथ ही, अदालत ने राज्य सरकार को मृत डॉक्टर के परिवार को 17 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया। हालांकि पीड़िता के माता-पिता ने मुआवजा लेने से इनकार कर दिया है और फैसले पर मायूसी जाहिर की है।