नयी दिल्ली, 10 नवंबर। उच्चतम न्यायालय ने जून में आयोजित पंजाब विधानसभा सत्र को संवैधानिक रूप से वैध ठहराते हुए शुक्रवार को वहां के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को लंबित विधेयकों पर फैसला लेने का निर्देश दिया और कहा कि राज्यपाल विधानसभा सत्र की वैधता पर संदेह नहीं कर सकते।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि राज्यपाल के पास जून में आयोजित विधान सभा सत्र की वैधता पर संदेह करने का कोई संवैधानिक आधार नहीं है।

पीठ ने यह कहते हुए कि 19 और 20 जून को आयोजित विधानसभा का विशेष सत्र इस साल मार्च में आयोजित बजट सत्र का विस्तार था, राज्यपाल को ‘सहमति के लिए प्रस्तुत विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए आगे बढ़ना चाहिए।’

पीठ ने कहा कि जून में सदन बुलाना पंजाब विधानसभा की प्रक्रिया और कामकाज के नियम 16 के दायरे में है।

पंजाब सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने दलील देते हुए कहा था कि राज्यपाल ने जून में सत्र आयोजित करने के अध्यक्ष के फैसले की वैधता पर संदेह किया।

इस पर पीठ ने पूछा,“राज्यपाल ऐसा कैसे कह सकते हैं? पंजाब में जो हो रहा है उससे हम खुश नहीं हैं। क्या हम संसदीय लोकतंत्र बने रहेंगे ?”

पीठ ने कहा,“विधानमंडल के सत्र पर संदेह करने का कोई भी प्रयास लोकतंत्र के लिए बेहद ख़तरनाक होगा।”

पीठ ने कहा,“यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि लोकतंत्र के संसदीय स्वरूप में वास्तविक शक्ति लोगों के निर्वाचित प्रतिनिधियों के पास होती है। राज्यपाल, राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त व्यक्ति के रूप में राज्य का नाममात्र प्रमुख होता है।”