कोलकाता, 22 नवंबर । जादवपुर विश्वविद्यालय ने जनसंचार विभाग के एक सहायक प्रोफेसर से स्‍पष्‍टीकरण मांगा है। उन पर आरोप है कि उन्होंने दूसरे सेमेस्टर की मीडिया लॉ एंड एथिक्स विषय की 50 उत्तर पुस्तिकाओं के अंकों को शीर्ष शीट पर दर्ज नहीं किया।

विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, जुलाई 2024 में आयोजित सेमेस्टर परीक्षा की इन उत्तर पुस्तिकाओं के अंक शीर्ष शीट पर नहीं लिखे गए थे। हालांकि, उन्हें डिजिटल पोर्टल पर अपलोड किया गया और प्रिंटआउट नियंत्रक कार्यालय को भेजा गया। छात्रों को आधिकारिक रूप से इस बारे में सूचित भी किया गया था।

आरोपित सहायक प्रोफेसर ने कहा कि वे अंकों को शीर्ष शीट पर लिखना भूल गए थे। हालांकि, उन्होंने एक अन्य पन्ने पर अंक लिखे और उन्हें पोर्टल पर अपलोड कर दिया।

कुछ छात्रों ने उत्तर पुस्तिकाएं देखने की मांग की। जब उन्होंने उत्तर पुस्तिकाओं को देखा, तो यह पाया कि शीर्ष शीट पर अंक दर्ज नहीं थे। इससे छात्रों के बीच संदेह उत्पन्न हुआ।

मामले की गंभीरता को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने इन 50 उत्तर पुस्तिकाओं की दोबारा जांच के लिए एक तृतीय पक्ष मूल्यांकन प्रक्रिया शुरू कर दी है। एक अधिकारी ने बताया कि सहायक प्रोफेसर को चेतावनी दी गई है और मामले में उचित कार्रवाई की जाएगी।

जादवपुर यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (जूटा) के महासचिव पार्थ प्रतिम रॉय ने कहा कि संघ इस मामले में निष्पक्ष और पारदर्शी जांच का समर्थन करता है। अगर जरूरत पड़ी तो उत्तर पुस्तिकाओं का तृतीय पक्ष द्वारा मूल्यांकन भी किया जाएगा।

इस घटना को लेकर ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन के नेतृत्व में छात्रों ने पांच घंटे से अधिक समय तक विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन अरविंद भवन के सामने धरना दिया। उन्होंने मांग की कि इस मामले की त्वरित और निष्पक्ष जांच हो और किसी भी छात्र के करियर पर इसका नकारात्मक प्रभाव न पड़े।

एक वरिष्ठ शिक्षक ने बताया कि परीक्षा के नियमों के तहत परीक्षकों को केवल शीर्ष शीट पर अंक दर्ज करने और उन्हें पोर्टल पर अपलोड करने की अनुमति है। लेकिन इस मामले में केवल अंकों को पोर्टल पर अपलोड किया गया था, जबकि शीर्ष शीट खाली रह गई।

मामले की जांच जारी है, और छात्रों व शिक्षकों के बीच इस पर चर्चा बढ़ गई है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने जल्द समाधान का आश्वासन दिया है।