श्रीनगर, 19 अक्टूबर । जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अगुवाई वाली कैबिनेट द्वारा पारित प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है, जिसमें केंद्र सरकार से केंद्र शासित प्रदेश को राज्य का दर्जा बहाल करने का आग्रह किया गया है।

एक आधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में राज्य के मूल स्वरूप को बहाल करने के लिए सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया, जिसके बाद उपराज्यपाल ने कैबिनेट द्वारा पारित प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी। प्रवक्ता ने कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करना एक उपचार प्रक्रिया की शुरुआत होगी, जिसमें संवैधानिक अधिकारों को पुनः प्राप्त करना और जम्मू-कश्मीर के लोगों की पहचान की रक्षा करना शामिल है। उन्होंने कहा कि कैबिनेट ने मुख्यमंत्री को राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारत सरकार के साथ मामला उठाने के लिए अधिकृत किया है।

प्रवक्ता ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की विशिष्ट पहचान और लोगों के संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा नव-निर्वाचित सरकार की नीति का आधार बनी हुई है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री इस संबंध में प्रधानमंत्री और केंद्रीय मंत्रियों से मिलने के लिए आने वाले दिनों में नई दिल्ली जाएंगे। प्रवक्ता ने बताया कि मंत्रिमंडल ने 4 नवंबर को श्रीनगर में विधानसभा सत्र बुलाने का भी फैसला किया है और उपराज्यपाल को विधानसभा सत्र बुलाने और उसे संबोधित करने की सलाह दी है। उन्होंने बताया कि पहले सत्र की शुरुआत में उपराज्यपाल द्वारा विधानसभा को संबोधित करने का मसौदा भी मंत्रिपरिषद के समक्ष रखा गया था, जिस पर परिषद ने फैसला किया कि इस पर आगे विचार किया जाएगा और चर्चा की जाएगी।

उधर, राजनीतिक दलों ने शुक्रवार को अनुच्छेद 370 पर नहीं बल्कि केवल राज्य के दर्जे पर प्रस्ताव को पूरी तरह आत्मसमर्पण और सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस के रुख से अवगत कराया। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी) और अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) सहित विभिन्न राजनीतिक दलों ने इस कदम की निंदा की और नेशनल कान्फ्रेंस को 5 अगस्त, 2019 से पहले (अनुच्छेद) 370-35ए और राज्य का दर्जा बहाल करने का प्रयास करने के अपने चुनावी वादे की याद दिलाई और कहा कि यह चुनाव पूर्व रुख से विचलन है।