कुड़मी हुंकार महारैली में हजारों लोग हुए शामिल

रांची, 25 फरवरी। कुड़मी जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने को लेकर रविवार को मोरहाबादी मैदान में हुंकार महारैली का आयोजन किया गया। महारैली की शुरूआत भूमि पूजा और झंडा गड़ी करके किया गया। महारैली में झारखंड के विभिन्न जिलों से हजारों की संख्या में कुड़मी समाज के लोग अपने पारंपरिक वेशभूषा, पारंपरिक नाच- गाना छऊ नाच, झुमर-नाच, नटुवा नाच, घोड़ा नाच एवं गाजे-बाजे के साथ रांची के मुख्य पथ से गुजरते हुए मोरहाबादी पहुंचे।

इस दौरान टोटेमिक कुडमी (महतो) समाज के मुख्य संयोजक शीतल ओहदार ने कहा कि यह महारैली टेलर मात्र है। कुड़मी समाज को आदिवासी समाज जैसा ही हक-अधिकार देना होगा। अपने हक के लिए कुड़मी समाज काफी दिनों से लड़ाई लड़ रहा है। केंद्र सरकार अविलंब टोटेमिक कुडमी को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करे अन्यथा आगामी चुनाव में परिणाम देखने को मिल जायेंगे। इस मांग को लेकर झारखंड के पूरा कुड़मी समाज गोलबंद हैं।

ओहदार ने कहा कि कुडमी समाज न सिर्फ गोलबंद है, बल्कि इस महारैली में अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में 30 विधानसभा एवं सात लोकसभा में कुड़मी बहुल क्षेत्र है। महतो समाज के वोट पर ही यहां की जीत निर्भर करता है। इसके बावजूद कुड़र्मियों का सिर्फ वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है लेकिन अब कुड़मी समाज जग चुका है। अब कुड़मी को राजनीतिक, सामाजिक शैक्षणिक हिस्सेदारी चाहिए। उन्होंने कहा कि अब कुडमी समाज संवैधानिक अधिकार के लिए आरपार की लड़ाई लड़ेगा। इसके लिए कुडमी समाज के लोगों को एकजुट होना होगा।

महारैली में रामपोदो महतो, लालटु महतो, ओम प्रकाश महतो, राजेंद्र महतो, सखिचन्द महतो, दनी सिंह महतो, कपिलदेव महतो, गिरधारी महतो, हेमलाल महतो, रचिया महतो, थानेश्वर महतो सहित अन्य मौजूद थे।