उदयपुर, 11 फरवरी। नारायण सेवा संस्थान के तत्वावधान में रविवार को आयोजित 41वें निःशुल्क दिव्यांग व निर्धन सामूहिक विवाह में 51 जोड़े परस्पर सात वचनों को लेकर जनम-जनम के बंधन में बंध गए। विभिन्न राज्यों के इन जोड़ों में 26 जोड़े ऐसे थे जो बैसाखी या किसी और के सहारे बिना उठ नहीं पाते, चल नहीं पाते अथवा देख नहीं पाते। इनमें अधिकतर वर-वधु ऐसे थे जिन्होंने संस्थान से आर्टिफिशियल लिम्ब पाया और आत्मनिर्भर होने के लिए प्रशिक्षण भी यहीं से पाया।
इस अवसर पर नारायण सेवा संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने अतिथियों व वर-वधुओं के परिजनों का स्वागत करते हुए कहा कि जब जीवन की दशा और दिशा बदलने वाला कोई सुनहरा सपना होता है तो उसकी ख़ुशी को बयां करना आसान नहीं होता। वही मंजर आज यहां दिख रहा है। उन्होंने बताया कि संस्थान पिछले 40 विवाहों में विभिन्न राज्यों के 2300 से अधिक जोड़ों की गृहस्थी बसाने में योगदान कर सुकून महसूस करता है।
विवाह की रस्मों का आरंभ गणपति पूजन के साथ हुआ। संस्थान संस्थापक पद्मश्री अंलकृत कैलाश ’मानव’, सह संस्थापिका कमला देवी, अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल, निदेशक वंदना अग्रवाल व पलक अग्रवाल ने गणपति पूजन किया। इसके पश्चात प्रातः 11 बजे शुभ मुहूर्त में दूल्हों ने क्रमवार परम्परागत तोरण की रस्म का निर्वाह किया। इसके बाद भव्य पाण्डाल में गाते-झूमते अतिथियों के बीच जोड़ों ने संस्थान अध्यक्ष प्रशान्त अग्रवाल व निदेशक वंदना अग्रवाल के सहयोग से स्टेज पर वरमाला डाली। इस दौरान उन पर पुष्प वर्षा की झड़ी लग गई। विवाह स्थल पर आतिशबाजी हुई। इसके बाद मुख्य आचार्य के निर्देशन में 51 पण्डितों ने अलग-अलग अग्निकुण्डों पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पाणिग्रहण संस्कार की विधि सम्पन्न करवाई। इस दौरान प्रत्येक वेदी पर वर-वधू के माता -पिता, कन्यादानी व साधक-साधिकाएं उपस्थित थे।
इस विवाह समारोह में सोहन चड्ढा-अमेरिका, भरतभाई सोलंकी- इंग्लैंड, कुसुम गुप्ता- दिल्ली सहित देश भर से बड़ी संख्या में आए अतिथियों ने वर-वधुओं को आशीर्वाद प्रदान किया।
विवाह विधि संपन्न होने पर नव-युगल को संस्थान व अतिथियों की ओर से नवगृहस्थी के लिए आवश्यक सामान एवं उपहार स्वरूप आभूषण प्रदान किए गए। सामग्री में मंगलसूत्र, चूड़ी, लोंग, कर्णफूल, अंगूठी, रजत पायल, बिछिया आदि शामिल थे। गृहस्थी के सामान में चूल्हा, बिस्तर, अलमारी, संदूक, बर्तन, पानी की टंकी सहित आवश्यक सामग्री दी गई। विदाई के वक्त कन्याएं नम आंखों से विदा हुई।