इस्लामाबाद, 21 मार्च । पाकिस्तान के कराची की एक अदालत ने एक दिन पहले गिरफ्तार किए गए यू-ट्यूब न्यूज चैनल के संस्थापक फरहान मलिक को आज चार दिन के रिमांड पर संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) को सौंप दिया। एफआईए ने मलिक को इलेक्ट्रॉनिक अपराध रोकथाम अधिनियम (पेका कानून) के उल्लंघन और मानहानि के आरोप में पकड़ा था।

न्यायिक मजिस्ट्रेट (पूर्व) की कराची अदालत में आज कार्यवाही के दौरान मलिक के वकील ने तर्क दिया कि पत्रकार के खिलाफ पहले से ही जांच चल रही है और सिंध हाई कोर्ट ने पहले ही किसी भी कानूनी कार्रवाई को रोकने के आदेश जारी किए हैं। वकील ने दावा किया कि एफआईए ने अदालत के आदेश के विपरीत काम किया। उनके खिलाफ पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 190 (यदि उकसाने के परिणामस्वरूप कोई कार्य किया जाता है और जहां सजा के लिए कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं किया गया है) और धारा 500 (मानहानि के लिए सजा) के साथ पेका अधिनियम की कई धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।

एफआईआर में उल्लेख किया गया है कि मलिक पहले एक निजी समाचार चैनल में निदेशक समाचार के रूप में काम करते थे। अब वह एक यू-ट्यूब न्यूज चैनल का मालिक है। वह कथित तौर पर राज्य विरोधी सामग्री के प्रसार में शामिल रहे हैं। जांच के दौरान साफ हुआ कि इस यू-ट्यूब चैनल में राज्य विरोधी फर्जी खबरों और सार्वजनिक भड़काने वाले एजेंडे से संबंधित पोस्ट और वीडियो प्रसारित किए गए। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के सार्वजनिक संस्थानों की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा।

मलिक के एक्स अकाउंट से कल किए गए एक पोस्ट में उनके परिवार ने कहा कि एफआईए ने कथित तौर पर उनके कार्यालय में जबरन प्रवेश किया। मलिक और उनकी टीम को परेशान किया। उनसे कहा गया कि 20 मार्च को दोपहर एक बजे कार्यालय में उपस्थित हों। मलिक ठीक समय पर पहुंचे। वहां उन्हें घंटों इंतजार कराने के बाद शाम 6 बजे गिरफ्तार कर लिया गया।

जियो न्यूज की खबर के अनुसार विवादास्पद पेका कानून में हाल ही में संशोधन किया गया है। देश भर के पत्रकार संगठन इस कानून का विरोध कर रहे हैं। वह इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को दबाने और पत्रकारों और उनके मीडिया आउटलेट्स को डराने का प्रयास बता रहे हैं।