बेंगलुरु, 13 नवंबर। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के बेटे बीवाई विजयेंद्र की कर्नाटक प्रदेश भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति से यह स्पष्ट हो गया है कि लिंगायत नेता के पास पार्टी में आने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
दक्षिण भारत में भाजपा को पहली बार सत्ता में लाने में श्री येदियुरप्पा का योगदान अहम था और उन्हें तोहफे के तौर पर मुख्यमंत्री पद दिया गया था। साल 2019 में कांग्रेस-जद(एस) गठबंधन सरकार के पतन के बाद उन्हें फिर से मुख्यमंत्री बनाया गया , लेकिन केंद्रीय नेतृत्व के साथ समझौते के चलते उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ने के लिए कहा गया। छह महीने पहले हुए कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बड़ा झटका लगा और सत्ता गंवानी पड़ी। भाजपा के आंतरिक सर्वे में पाया गया कि श्री येदियुरप्पा की नाराजगी का असर जहां पार्टी पर पड़ा है वहीं जनता की राय भी बदली है।
लिंगायत समुदाय के वोट निर्णायक हैं क्योंकि वे कर्नाटक में हमेशा भाजपा के पीछे खड़े रहे हैं, लेकिन पिछले मई में हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने लिंगायत बहुल उत्तरी कर्नाटक के बेलगावी, धारवाड़, हुबली, विजयपुरा और गडग में अप्रत्याशित जीत हासिल की।
राज्य की लगभग 70 विधानसभा सीटों पर लिंगायत समुदाय का दबदबा है और कांग्रेस ने उनमें से 45 से अधिक सीटें जीतीं, जिससे भाजपा की चिंता बढ़ गई है। केंद्रीय नेतृत्व को डर था कि लिंगायत समुदाय के अलग-थलग होने का असर आगामी लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा। पिछले लोकसभा चुनाव में कर्नाटक की 28 में से 25 सीटें जीतने वाली बीजेपी ने अब लिंगायत समुदाय को फिर से मजबूत करने के लिए येदियुरप्पा परिवार को महत्व दिया है। विजयेंद्र को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, लेकिन यह समझा जाता है कि सारी ताकत श्री येदियुरप्पा के हाथों में रहेगी।