चतरा, 28 जुलाई। नाग पंचमी मंगलवार को मनाई जाएगी। सनातन धर्म में नागदेव की पूजा का विशेष स्थान है। भगवान शिव का श्रृंगार नाग की पूजा से घर में सर्पदंश का भय दूर होता है। जन्मकुंडली में बने कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। इस दिन रुद्राभिषेक करने से हर इच्छाएं पूरी होती है।

चतरा के आचार्य चेतन पाण्डेय ने सोमवार को बताया कि महाभारत और अन्य ग्रंथों में नाग की उत्पत्ति का विशेष विवरण मिलता है। इसमें शेषनाग, वासुकी, तक्षक सहित अन्य प्रमुख हैं।

धर्म ग्रंथों की मानें तो तक्षक पताल वासी आठ नागों में एक हैं। तक्षक का महाभारत काल में भी वर्णन मिलता है। इनके अलावा शंखपाल, पद्म व महापद्य सहित अन्य भी धर्म ग्रंथों में नागराज पूजनीय है। कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए नाग पंचमी बेहद खास माना गया है। नागपंचमी का त्योहार इस साल 29 जुलाई दिन मंगलवार को पड़ रहा है। ज्योतिष गणना के अनुसार इस वर्ष नाग पंचमी पर कई दुर्लभ संयोग बन रहे हैं। जो कि नाग देवता का आशीर्वाद पाने और भय से मुक्ति पाने के लिए विशेष तौर पर लाभप्रद है। इस साल नाग पंचमी मंगलवार को पड़ रहा है।

आचार्य ने बताया कि ज्योतिष गणना के अनुसार इस बार नाग पंचमी पर उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र और शिव योग का विशेष संयोग बन रहा है। साथ ही इस दिन चंद्रमा कन्या राशि में गोचर करेंगे। शास्त्रों के अनुसार नाग पंचमी के दिन कालसर्प योग और शनि जनित दोष से परेशान लोगों को शांति के खास उपाय करने चाहिए। इस दिन ग्रहों की शांति के लिए किए गए उपाय कई गुना अधिक लाभ देते हैं।

धान का लावा और दूध से करें नाग देव की पूजा

नाग देवता की पूजा में धान का लावा का विशेष महत्व है। इससे नाग देवता काफी प्रसन्न होते हैं और मनोवांछित फल देते हैं। नाग देवता की पूजा धान का लावा और दूध से करना चाहिए। इसके अलावे पूजन में पुष्प, अक्षत, लड्डू चूरण, हल्दी, गुड़ का भोग लगाना चाहिए। नाग पंचमी के दिन शिव का वास वृष पर होता है। इस दिन भगवान शिव के साथ नागराज की पूजा अभिष्ठ फल देने वाले होते हैं।

रुद्राभिषेक के लिए भी होगा विशेष मुहूर्त

आचार्य ने बताया कि सावन में भगवान शिव का रुद्राभिषेक विशेष स्थान रखता है। वैसे तो सावन में सभी दिन शिव पूजन और रुद्राभिषेक किया जाता है। लेकिन श्रीनाग पंचमी के दिन रुद्राभिषेक के लिए विशेष शुभ मुहूर्त बनता है। उन्होंने कहा कि इस दिन भगवान शिव के रुद्राभिषेक के बाद सर्प की भी विशेष पूजा करना चाहिए। इस दिन शिव परिवार की पूजन का योग भी बन रहा है। यह संयोग कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए विशिष्ट फलदायी माना गया है। मान्यता है कि इस दिन काल सर्पदोष से मुक्ति के लिए पूजा करना सबसे अधिक प्रभावशाली रहता है।आचार्य के अनुसार नाग पंचमी पर ऐसा संयोग कई वर्षों बाद बन रहा है। इस बार नाग पंचमी पर नाग देव की पूजा विशेष रूप से फलदायी है। जिन व्यक्तियों की कुण्डली में काल सर्पदोष है उन्हें नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा जरूर करनी चाहिए।