नई दिल्ली, 13 नवंबर। दिल्ली के स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर में सोमवार को ‘श्री अन्न’ से भव्य अन्नकूट और गोवर्धन पूजा की गयी तथा 1221 सात्विक व्यंजनों का भोग लगाया गया।

दिल्ली के यमुना किनारे स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर में अन्नकूट महोत्सव तथा गोवर्धन पूजा अत्यंत हर्षोल्लास एवं पारम्परिक विधि विधान से आयोजित किये गए। मंदिर-परिसर में बृज क्षेत्र के गोकुल ग्राम स्थित ऐतिहासिक गोवर्धन पर्वत से लाए पत्थर और मृदा से एक टीले का सृजन किया गया। इसका रूप बिलकुल वास्तविक गोवर्धन पर्वत के समान रहा। इस टीले के आगे श्री राधा-कृष्ण देव की मूर्तियों को स्थापित किया गया और साथ ही में गौ-माता और उनके बछड़े का बाड़ा लगाया गया।

कार्तिक माह की शुक्ल प्रतिपदा (दीपावली के अगले दिन) अन्नकूट का महोत्सव मनाया जाता है। इस दिवस पर द्वापर युग में श्री कृष्ण भगवान ने इंद्र देव पर विजय प्राप्त कर, अपनी एक अंगुली पर गोवर्धन पर्वत को धारण कर, गोकुल वासियों की रक्षा की थी। इसलिए, इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा की जाती है।

श्री अक्षर पुरुषोत्तम महाराज, श्री राधा कृष्ण और गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा‌ की वैदिक मंत्रों के साथ पूजा अर्चना की गयी। गोवर्धन पूजा का अनुष्ठान एक प्राचीन रीति है। यह अनुष्ठान लगभग 5011 वर्ष पुराना है। मंदिर परिसर में लगभग 1221 व्यंजनों को भगवान स्वामिनारायण और उनके अनुगामियों को अर्पण किया गया था। इनमें खाद्य एवं पेय, दोनों प्रकार के भोजन थे। सब्ज़ियों पर मुग्धकारी चित्रकारी, फलों पर पशु-पक्षियों की सुन्दर बनावट, पके हुए मक्के के झूमर, रोटलों की भूरी पहाड़ियाँ, मिठाइयों के छोटे टापू इत्यादि देखकर भारतीय संस्कृति में भोजन और पोषण के महत्व का विचार आया। पारम्परिक भक्तिभाव के साथ साथ इस वर्ष के अन्नकूट की विशेषता “श्री अन्न” से बने पकवान रहे। वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय श्री अन्न वर्ष घोषित किया गया है और इसी आधुनिक विचारधारा को स्वामिनारायण अक्षरधाम, दिल्ली ने उत्कृष्टता से प्रस्तुत किया।