जोधपुर, 19 फरवरी। अंतरराष्ट्रीय कैमलिड्स वर्ष को चिह्नित करने वाले समारोहों की एक श्रंखला के हिस्से के रूप में लोकहित पशु-पालक संस्थान, नॉर्थ अमेरिकन कैमल रेंच ऑनर्स एसोसिएशन एवं जोधाना हेरिटेज रिसोर्टस् के संयुक्त तत्वावधान में ऊंट संरक्षण पर नागौर अहिछत्रगढ़ दुर्ग में कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला की शुरुआत एलपीपीएस के निदेशक हनवंत सिंह राठौड़ ने की। डॉ. इल्से कोहलर-रोलेफ़सन ने राजस्थान की अनूठी ऊंट संस्कृति के बारे में विस्तार से बताया, जिसका प्रतिनिधित्व रायका और अन्य ऊंट प्रजनन समुदायों द्वारा किया जाता है, जो ऊंट के मांस के उपयोग को अस्वीकार करने वाले एकमात्र समुदाय हैं। हालांकि वैश्विक ऊंटों की आबादी पिछले 60 वर्षों में तीन गुना हो गई है। भारत की ऊंटों की संख्या में 80 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है और राज्य से उनके निर्यात को प्रतिबंधित करके ऊंटों की रक्षा करने वाला कानून इस विकास में योगदान दे रहा है।

एनएसीआरओए के अध्यक्ष डुग बॉम ने ऊंटों की भलाई के बारे में बात करते हुए इस बात पर जोर दिया कि यह उनके पालकों की भलाई से अटूट रूप से जुड़ा हुआ है। संयुक्त अरब अमीरात स्थित नोमैडिक न्यूट्रिशन के सीईओ ऑगस्टा डी लिसी ने राजस्थान की यूएसपी के रूप में ’क्रूरता मुक्त’ ऊंट के दूध की अवधारणा को बढ़ावा दिया और बताया कि कैसे वह अपने उत्पादों के निर्माण के लिए केवल राजस्थान के ऊंट के दूध पाउडर का उपयोग करने पर जोर दे रही हैं, क्योंकि यह लोगों के लिए अच्छा है।

प्रतिभागियों के बीच इस बात पर सहमति थी कि ऊंट संरक्षण के लिए सार्वजनिक क्षेत्रों और गांव के चरागाहों की रक्षा करके चरागाह क्षेत्रों के संरक्षण की आवश्यकता है, और यह सुझाव दिया गया कि जंगलों में भी नियंत्रित ऊंट चराई की अनुमति दी जाए। कार्यशाला में महिलाओं की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया गया और बताया कि एनीमिया के लिए इसके लाभों सहित ऊंटनी के दूध के पोषण मूल्य के बारे में उनके बीच जागरूकता बढ़ाई जानी चाहिए। कार्यशाला में वलेरी क्रेनशॉ, वेण्डी फीफ, जेनिफर लागुस्कर, गाय सिकलस, डॉ. किली स्मिथ, रविन्द्रसिंह राठौड़, डॉ. टीके गहलोत, डॉ. अर्थबंधु साहू, डायरेक्टर, नेशनल रिसर्च सेन्टर ऑन केमल, डॉ. सावल, डालीबाई राईका, भंवरलाल राइका, सुमेरसिंह भाटी, कर्णाराम राइका, मनोज व्यास, निधि बक्क्षी कंसल्टेंट ऑन वुमन इश्यू दिल्ली, लालचंद सैनी, राजेन्द्र खोखर, डॉ. जितेन्द्र कुमार जिंगोनिया, भगवानदास, डॉ. अभिनव स्वामी, चेतन मिसर, अत्री, हुकमसिंह राठौड़, फाउण्डेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्यूरिटी, संतोष कुमारी एवं अन्य ने भाग लिया।