
बरेली, 30 जून । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु सोमवार को उत्तर प्रदेश के बरेली में भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) के दीक्षांत समारोह में शामिल हुईं। इस मौके पर उन्होंने मेधावियों को पदक व उपाधि देकर सम्मानित किया।
दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि ईशावास्यम् इदम् सर्वम् के जीवन मूल्य पर आधारित हमारी संस्कृति, सभी जीवों में ईश्वर की उपस्थिति को देखती है। पशुओं से हमारे देवताओं और ऋषि-मुनियों का संवाद होता था, यह मान्यता भी उसी सोच पर आधारित है। भगवान के कई अवतार भी इसी विशिष्ट श्रेणी में थे। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रसंगों का उल्लेख मैं यहां इसलिए कर रही हूं कि जब आप चिकित्सक या शोधकर्ता के रूप में कार्य करें तब बेजुबान पशुओं के कल्याण की भावना आपके मन में हो।
राष्ट्रपति ने कहा कि मैं जिस परिवेश से आती हूं, वह सहज रूप से प्रकृति के निकट है। मानव का वनों, और वन्य जीव-जंतुओं के साथ सह-अस्तित्व का रिश्ता है। सच कहें तो पशु और मानव का एक परिवार का रिश्ता है। राष्ट्रपति ने कहा कि अभी हम आधुनिक जीवनशैली की जिंदगी जी रहे हैं, लेकिन जब छोटे थे तो टेक्नोलॉजी का साधन नहीं था तब पशु ही हमारे साधन थे। पशु के बिना किसान आगे नहीं बढ़ सकते थे। पशु हमारे जीवन का धन हैं। उनके बिना हम जिंदगी के बारे में सोच नहीं सकते थे।
संस्थान ने हासिल कीं कई उपलब्धियां
राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि वर्ष 1889 में स्थापित इस संस्थान ने 135 वर्ष की अपनी यात्रा में कई महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की हैं। राष्ट्रपति ने संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध कार्यों और इस संस्थान के नाम दर्ज अनेक पेटेंट्स, डिजाइन, कॉपीराइट्स की भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस संस्थान के लिए गर्व का विषय है कि राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम में अनेक टीके यहीं पर विकसित किए गए।
राष्ट्रपति ने कहा कि गिद्धों की संख्या घटने के पीछे पशु चिकित्सा में इस्तेमाल होने वाली रासायनिक दवाओं की भी भूमिका है। ऐसी दवाओं पर प्रतिबंध लगाना गिद्धों के संरक्षण की दिशा में सराहनीय कदम है। वैज्ञानिकों के इस दिशा में कदम उठाने पर राष्ट्रपति ने बधाई दी। उन्होंने कहा कि कई प्रजातियां या तो विलुप्त हो गईं या विलुप्त होने के कगार पर हैं। इन प्रजातियों का संरक्षण पर्यावरण संतुलन के लिए बहुत आवश्यक हैं। भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान जैसे संस्थान जैव विविधता को बढ़ाने में अग्रणी भूमिका निभाते हुए आदर्श प्रस्तुत करें।
पशु चिकित्सा के क्षेत्र में भी आगे आ रहीं बेटियां
राष्ट्रपति ने कहा कि पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में छात्राओं की बड़ी संख्या देखकर गर्व हो रहा है कि बेटियां अन्य क्षेत्र की तरह पशु चिकित्सा के क्षेत्र में भी आगे आ रही हैं, यह शुभ संकेत है। इस क्षेत्र में बेटियों का जुड़ाव देखकर बहुत अच्छा लगा।
सत्व गुण से होती है ज्ञान की प्राप्तिराष्ट्रपति ने विद्यार्थियों से कहा कि करियर के रूप में आपने बेजुबान पशुओं की चिकित्सा व कल्याण के क्षेत्र को चुना है। इसमें सर्वे भवन्तु सुखिनः… की भारतीय सोच का भी योगदान रहा है। राष्ट्रपति ने संस्थान का ध्येय वाक्य सुनाकर उसके भावार्थ की चर्चा की कि सत्व गुण से ज्ञान की प्राप्ति होती है। विश्वास है कि इसी भावना के साथ आपने शिक्षा प्राप्त की होगी और भविष्य में भी इसी मूल भावना के साथ कार्य करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि जब भी आपके सामने दुविधा का क्षण हो तब उन बेजुबान पशुओं के बारे में सोचिए, जिनके कल्याण के लिए आपने शिक्षा ग्रहण की है। आपको सही मार्ग जरूर दिखाई देगा।
राष्ट्रपति ने चिंता व्यक्त कीराष्ट्रपति ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज गांव-गांव में घरेलू पशु नहीं दिख रहे हैं। यह पशु खेती में सहयोग करते हैं। आज टेक्नोलॉजी तो आयी, लेकिन जमीन में खेती के साथी केंचुआ आदि समाप्त हो रहे हैं। इससे जमीन बंजर हो रही है। जमीन उर्वरता के लिए किसानों, वैज्ञानिकों, चिकित्सकों व आमजन को सोचना चाहिए। पशु संपदा का संरक्षण व विकास हमारा कर्तव्य होना चाहिए।
समारोह में उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदी बेन पटेल, झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, राज्यमंत्री भागीरथ चौधरी आदि मौजूद रहे।