
कोलकाता, 2 जुलाई। सुदामा के पास धन नहीं था पर दुखी नहीं थे। यदि धन-सम्पत्ति से सारा सुख से मिले तो पैसे वाले सारे सुख को खरीद लेते पर ऐसा नहीं होता।सुदामा अभाव में भी परम आनंद में थे।सुशीला जो सुदामा की पत्नी थी,पति से कोई शिकायत नहीं करती। सुदामा सुशीला के कहने पर द्वारिकाधीश भगवान श्रीकृष्ण के पास चल दिए। बीच रास्ते में सुदामा जी सो गए पर कृष्ण ने अपनी माया से द्वारिका पहुंच दिया।जो ईश्वर की तरफ एक कदम बढ़ता है तो भगवान एक हजार कदम बढ़कर अपने पास खींच लेते हैं। कृष्ण के पास से लौटकर सुदामा आए तो महल और समृद्धि को देखकर सुशीला से पूछा तो उन्होंने कहा कि रात में सोई थी तो झोपड़ी थी पर सबेरे ये महल बन गया।लगता है यह आपके मित्र द्वारिकाधीश भगवान श्रीकृष्ण की कृपा का फल है। इसे सुनकर सुदामा ने कहा कि गरीबी हो या अमीरी कभी भी तू कृष्ण को न भूलो।
एक बार सूर्य ग्रहण के समय जब द्वारिका वालों के संग कृष्ण-बलराम कुरुक्षेत्र पहुंचे तो ब्रजवासी ,गोपियां नंद बाबा के संग पहुंचे।लगभग एक सौ साल यह दिव्य मिलन हुआ।गोपियां कृष्ण से कहती है कि हम आपको भूला ही नहीं पाती इसलिए घर-गृहस्थी में मन लगा पाती।इसे सुनकर कृष्ण समझ गए विदाई के गोपियां का जीवन और दुखमय हो जाएगा।इसीलिए कृष्ण ने गोपियों को ज्ञान का उपदेश दिया, कहा कि सारे जगत का अभिन्न उपादान निमित्त कारण मैं ही हूँ।मैं ही सबकी आत्मा में प्राण के रूप में विद्यमान रहता हूँ। भागवत धर्म कहता है कि जो भी आपकी योग्यता है ,दायित्व मिला है उसे मनोयोग और ईश्वरीय कार्य समझकर करो तो वह कार्य साधना बन जाती है।
श्रीमद्भागवत कथा भक्ति, ज्ञान यज्ञ है।यह दिव्य कथा है।सात दिन दिनों तक जिस किसी यह कथा सुनी ,यदि कथा की बातें हृदय को छू गई हो तो आपका सकारात्मक भाव हो जाएगा,निरन्तर भगवान के नाम-जाप और कथा में प्रेम बढ़ जाएगा।भगवान का होकर जिओ।
ये बातें सीताराम-श्याम सुंदर लोहिया परिवार के तत्वावधान में श्रीमद्भागवत कथा पर प्रवचन करते हुए स्वामी गिरीशानंद सरस्वती महाराज ने सफ्फायर सभागार में कही। कथा के मुख्य यजमान मायादेवी-ओम प्रकाश लोहिया ने व्यासपीठ का पूजन किया।कृति-आशीष लोहिया व नेहा-विनीत लोहिया ने श्रद्धालुओं का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन पुरुषोत्तम तिवारी ने किया।इस अवसर पर दर्शन केसरी स्वामी मुक्तानंद महाराज, मुरारीलाल दीवान, सीमा सुरक्षा बल,पूर्वी क्षेत्र के कमांडेंट मनोज राय,संगीता राय, सज्जन सिंघानिया,राजू चौधरी ,सावित्री लोहिया, शकुंतला दीवान,बबीता दीवान,वर्षा अग्रवाल, प्रभात पंसारी, दुर्गा प्रसाद अग्रवाल,ओमप्रकाश अग्रवाल,अरूणा-सुशील जालान सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।