रांची, 21 मई । राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने कहा कि भारतीय चिंतन, संस्कृति और जीवन मूल्यों पर आधारित शिक्षा को जनजातीय क्षेत्रों तक पहुंचाने का प्रयास प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि आपके कार्यों के बारे में पहले भी सुना था और समझता था, लेकिन आज प्रत्यक्ष रूप से देखकर बहुत खुशी हुई। राज्यपाल बुधवार को विद्या विकास समिति की ओर से आयोजित आचार्य प्रशिक्षण केंद्र में जनजातीय आचार्य प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह में बोल रहे थे। रांची के नगड़ी स्थित कुदलुंग में आयोजित इस कार्यक्रम में राज्य के विभिन्न जिलों से आए 387 आचार्यों की उपस्थिति रही।

राज्यपाल ने सभी प्रशिक्षणार्थियों को शुभकामनाएं दीं और महिला आचार्याओं की उपस्थिति को विशेष रूप से सराहते हुए कहा कि जब एक नारी शिक्षित होती है, तो पूरा समाज शिक्षित होता है और यहां का दृश्य जनजातीय समाज में शिक्षा की गहरी जड़ें और महिलाओं की अग्रणी भूमिका का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि विद्या विकास समिति के अंतर्गत झारखंड में 213 औपचारिक विद्यालय और 209 सरस्वती संस्कार केन्द्रों के माध्यम से ग्रामीण और जनजातीय क्षेत्रों में शिक्षा सुलभ कराई  जा रही है, नगर की उपेक्षित बस्तियों में संस्कार युक्त नि:शुल्क शिक्षा भी प्रदान की जा रही है, यह अत्यंत ही सराहनीय है। उन्होंने इसे सशक्त सामाजिक सेवा का उत्कृष्ट उदाहरण बताया।

राज्यपाल ने कहा कि जनजातीय समाज के शिक्षित युवक-युवतियां अपने गांव और समाज के बच्चों को न केवल अक्षर और अंक ज्ञान, बल्कि उससे भी अधिक महत्वपूर्ण संस्कारों की शिक्षा दे रहे हैं। राज्य के 264 प्रखंडों से आए आचार्यों की सहभागिता को उन्होंने राष्ट्रीय चेतना के जागरण के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने देश के प्रधानमंत्री का जनजातीय समाज के प्रति संवेदनशीलता और सम्मान का उल्लेख करते हुए कहा कि एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों की स्थापना में झारखंड को प्रमुखता दी जा रही है।

राज्यपाल ने ‘विद्या भारती’ की उस संकल्पना की सराहना की, जिसमें यह स्पष्ट उद्देश्य है कि कोई भी मूल्यपरक शिक्षा से वंचित न रहे। उन्होंने आचार्ययों से आह्वान किया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में केवल शिक्षक नहीं, बल्कि संस्कारों के संवाहक बनें। उन्होंने कहा कि अपने लिए तो सभी जीते हैं, परंतु जो दूसरों के लिए जीते हैं, वही वास्तव में जीते हैं। समाज ऐसे लोगों को सदैव स्मरण रखता है, जो अपने जीवन को समाज के उत्थान के लिए समर्पित करते हैं।

राज्यपाल ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की प्रासंगिकता आज सबके सामने स्पष्ट हो रही है। यह समय की आवश्यकता थी और इसके प्रभाव दूरगामी होंगे। उन्होंने कहा कि राज भवन का द्वार हमेशा सभी के लिए खुला है। वे राज्य की प्रगति के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं। यदि कोई भी व्यक्ति राज्य के विकास के लिए कोई सुझाव देना चाहता है, तो उनका स्वागत है।