नयी दिल्ली, 03 नवम्बर। मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को कहा कि वह नहीं चाहते हैं यह न्यायालय ‘तारीख-पे- तारीख अदालत’ बने।

उच्चतम न्यायालय में सुनवाई टालने की गुहार पर मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने आज कहा, “हम नहीं चाहते कि यह अदालत तारीख-पे-तारीख अदालत बने।” पीठ ने खुली अदालत में यह टिप्पणी की और वकीलों से अनुरोध किया कि वे केवल तभी सुनवाई टालने की मांग करें जब यह वास्तव में बहुत जरूरी हो।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने सुनवाई को बार-बार स्थगित करने से देश की शीर्ष अदालत में नागरिकों के भरोसे की स्थिति बयां करते हुए कहा, “मैं बार के सदस्यों से अनुरोध करता हूं कि जब तक वास्तव में जरूरी न हो तब तक स्थगन की मांग न करें। यह तारीख-पे-तारीख अदालत नहीं बन सकती। यह हमारी अदालत में नागरिकों के भरोसे को कमजोर करता है।”

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि सितंबर और अक्टूबर 2023 के दौरान पिछले दो महीनों में वकीलों द्वारा 3688 स्थगन की मांग की गईं।उन्होंने अत्यधिक स्थगन की मांग पर कहा कि इससे मामले को दाखिल करने और उसे सूचीबद्ध करने का उद्देश्य विफल हो गया।

मुख्य न्यायाधीश ने वकीलों से कहा, “मेरा एक अनुरोध है। आज 178 स्थगन के अनुरोध की पर्चियां हैं। एक और तीन सितंबर तक प्रति विविध दिन औसतन 154 स्थगन की मांग कई हैं।”

इसके उलट सितंबर 2023 से अब तक 2361 मामलों का शीघ्र सुनवाई के लिए अनुरोध किया गया है। हर दिन औसतन 59 मामलों का उल्लेख किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि एक ओर जहां मामलों को शीघ्र सूचीबद्ध जाता है, वहीं दूसरी ओर उनका उल्लेख किया जाता है, फिर उन्हें स्थगित कर दिया जाता है।