
कोलकाता, 01 जुलाई। कलकत्ता हाईकोर्ट की एकल पीठ ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) की नई भर्ती अधिसूचना पर अहम सवाल उठाए हैं। यह अधिसूचना उन पदों को भरने के लिए जारी की गई थी, जो सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 25 हजार 753 शिक्षण और गैर-शिक्षण पदों की नियुक्तियों को रद्द करने के बाद रिक्त हुए हैं।
न्यायमूर्ति सौगत भट्टाचार्य की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनवाई के दौरान पूछा कि जब सर्वोच्च न्यायालय का स्पष्ट आदेश था कि नई भर्ती उसी नियमावली के अनुसार होनी चाहिए जो 2016 में लागू थी, तो फिर आयोग ने नई अधिसूचना में अलग “वेटेज क्राइटेरिया” क्यों शामिल किया है।
हाईकोर्ट ने यह भी सवाल उठाया कि अधिसूचना में उन उम्मीदवारों को नए चयन में भाग लेने से क्यों नहीं रोका गया, जिन्हें पहले “अयोग्य” के रूप में चिन्हित किया जा चुका है, जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने अप्रैल में दिए अपने आदेश में इस संबंध में स्पष्ट निर्देश दिया था। न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने कहा कि अधिसूचना में यह उल्लेख होना चाहिए था कि चिन्हित अयोग्य अभ्यर्थियों को नई प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
इस मामले में न्यायालय ने राज्य सरकार और डब्ल्यूबीएसएससी से इन दोनों मुद्दों पर स्पष्टीकरण मांगा है।
दरअसल डब्ल्यूबीएसएससी द्वारा मई में जारी नई अधिसूचना के अनुसार, लिखित परीक्षा का अंकभार 60 कर दिया गया है, जबकि 2016 की प्रक्रिया में यह 55 था। इसके अलावा, शैक्षणिक योग्यता के आधार पर वेटेज को घटाकर 10 कर दिया गया है, जो पहले 35 था। दो नए वेटेज क्राइटेरिया —”पिछला शिक्षण अनुभव” और “लेक्चर डेमोंस्ट्रेशन” —शामिल किए गए हैं, जिन्हें 10-10 अंक दिए गए हैं।
विधिक विशेषज्ञों ने अधिसूचना जारी होते ही इन वेटेज बदलावों को लेकर कानूनी अड़चनों की आशंका जताई थी।