नयी दिल्ली, 26 नवम्बर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘जल सुरक्षा’ को 21वीं सदी की बहुत बड़ी चुनौतियों में से एक बताते हुए कहा है कि जल का संरक्षण करना जीवन को बचाने से कम नहीं हैं।
मोदी ने रविवार को अपने रेड़ियो प्रसारण ‘मन की बात’ में कहा, “21वीं सदी की बहुत बड़ी चुनौतियों में से एक है –‘जल सुरक्षा’। जल का संरक्षण करना, जीवन को बचाने से कम नहीं हैं। जब हम सामूहिकता की इस भावना से कोई काम करते हैं तो सफलता भी मिलती है।”
देश के हर जिले में बनाये जा रहे ‘अमृत सरोवर’ को इसका उदाहरण बताते हुए उन्होंने कहा कि इनसे आने वाली पीढियों को पानी सुलभता से हासिल हो सकेगा। उन्होंने कहा ‘अमृत महोत्सव’ के दौरान भारत ने जो 65 हजार से ज्यादा ‘अमृत सरोवर’ बनाए हैं, वो आने वाली पीढ़ियों को लाभ देंगे। अब हमारा ये भी दायित्व है कि जहां-जहां ‘अमृत सरोवर’ बने हैं, उनकी निरंतर देखभाल हो, वो जल संरक्षण के प्रमुख स्रोत बने रहें।”
प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण के संदर्भ में गुजरात के अमरेली में हुए ‘जल उत्सव’ का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि गुजरात में बारहमास बहने वाली नदियों का अभाव है, इसलिए लोगों को ज्यादातर बारिश के पानी पर ही निर्भर रहना पड़ता है। उन्होंने कहा कि पिछले 20-25 साल में सरकार और सामाजिक संगठनों के प्रयास के बाद वहां की स्थिति में बदलाव आया है जिसमें ‘जल उत्सव’ की बड़ी भूमिका है।
उन्होंने कहा कि अमरेली में हुए ‘जल उत्सव’ के दौरान ‘जल सरंक्षण’ और झीलों के संरक्षण को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाई गयी। इसमें पानी में खेले जाने वाले तैराकी जैसे खेलों को भी बढ़ावा दिया गया और जल सुरक्षा पर भी मंथन किया गया। इसका आयोजन सावजी भाई ढोलकिया के एक संगठन ने किया।