जोहानिसबर्ग, 30 मई। दक्षिण अफ्रीका में राष्ट्रीय व प्रदेश स्तरीय सरकारों को चुनने के लिए बुधवार को लाखों लोगों ने मतदान किया। इस बीच यह अनुमान लगाया जा रहा है कि राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा के नेतृत्व वाली ‘अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस’ (एएनसी) 30 साल पहले नेल्सन मंडेला के निर्वाचित होने के बाद पहली बार अपने बहुमत से दूर हो सकती है। मतदान स्थानीय समयानुसार सुबह सात बजे शुरू हुआ और रात नौ बजे तक चला। अंतिम परिणाम रविवार तक आने की उम्मीद है।
हालांकि, राष्ट्रपति रामाफोसा (71) को पूरा विश्वास है कि उनकी पार्टी चुनाव में सत्ता में वापस आएगी। रामाफोसा ने वोट डालने के बाद मीडिया से कहा, दक्षिण अफ्रीका के लोग आज मतदान करके एएनसी को पूर्ण बहुमत देंगे। इसे लेकर मेरे मन और मस्तिष्क में कोई संदेह नहीं है। इन चुनाव में तीन दशक से प्रभुत्व रखने वाली एएनसी की प्रतिष्ठा दांव पर है। पार्टी ने दक्षिण अफ्रीका को रंगभेद के क्रूर श्वेत अल्पसंख्यक शासन से 1994 में बाहर निकालने में अहम भूमिका निभाई थी।
सभी के लिए बेहतर जीवन के नारे के साथ रंगभेद को समाप्त करने का वादा करने वाली इस पार्टी के सामने असमानता, गरीबी और बेरोजगारी जैसी विकट समस्याएं हैं और इनसे परेशान अश्वेत बहुसंख्यकों ने पार्टी को सत्ता से बेदखल करने की चेतावनी दी है। चुनाव में अगर एएनसी को बहुमत नहीं मिला तो उसे सरकार बनाने और पार्टी के नेता एवं राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा को शीर्ष पद पर बनाए रखने के लिए अन्य दल के साथ गठबंधन करना पड़ सकता है। इससे पहले एएनसी को कभी ऐसी परिस्थिति का सामना नहीं करना पड़ा। रामाफोसा ने कहा कि उनके नेतृत्व में एएनसी ने एक जबरदस्त प्रचार अभियान चलाया था और पार्टी कार्यकर्ताओं ने देश के कोने-कोने में जाकर लोगों से संपर्क किया तथा उन लोगों को भी मतदान के लिए प्रोत्साहित किया जो मतदान करने के बारे में संशय में थे।
उन्होंने कहा, हमें इस बात को लेकर प्रसन्नता हुई कि ज्यादातर संख्या में युवा लोग मतदान के लिए पंजीकरण करा रहे हैं और हम अपने देश के लोगों से आग्रह करते रहे हैं कि हम एक स्वच्छ अभियान चलाना चाहते हैं।हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि इस पूरे चुनाव में लोकतंत्र की ही जीत हो।
राष्ट्रीय और प्रांतीय चुनावों में 52 राजनीतिक दल और पहली बार बड़ी संख्या में निर्दलीय उम्मीदवार भी मैदान में हैं।
पूर्व राष्ट्रपति जैकब जुमा को न्यायालय की अवमानना के आरोप के कारण संसद के लिए चुनाव लड़ने से रोक दिया गया है, लेकिन उनका नाम मतपत्र में है।
अफ्रीकी संघ के अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों ने भी दक्षिण अफ्रीका के निर्वाचन आयोग द्वारा संचालित चुनाव प्रक्रिया में अपना विश्वास व्यक्त किया है। इस समय दक्षिण अफ्रीका में विभिन्न मतदान केंद्रों पर 190 से अधिक अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक मौजूद हैं।