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कोलकाता, 1 मार्च। नदिया जिले के शांतिपुर में आगामी 5 मार्च को बीडीओ द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया है कि शांतिपुर के बीडीओ ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर यह बैठक बुलाई है, जिसमें बूथ-स्तर के एजेंटों की सूची और मृत या अन्यत्र स्थानांतरित मतदाताओं की पहचान पर चर्चा होगी। शुभेंदु का दावा है कि चुनाव आयोग से बिना किसी निर्देश के यह बैठक आयोजित की जा रही है, जो नियमों के खिलाफ है।
शुभेंदु अधिकारी ने सोशल मीडिया पर बैठक से संबंधित पत्र की तस्वीर साझा करते हुए कहा कि बीडीओ राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस को खुश करने के लिए यह बैठक आयोजित कर रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रीय चुनाव आयोग और राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी से आग्रह किया है कि इस तरह के ‘पक्षपाती’ अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए और उन्हें चुनाव प्रक्रिया से अलग रखा जाए।
क्या कह रहा है चुनाव आयोग?
चुनाव आयोग के राज्य कार्यालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार, शांतिपुर में बीडीओ द्वारा बुलाई गई यह बैठक अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर की जा रही है। राज्य चुनाव आयोग ने इस मामले की जानकारी दिल्ली स्थित राष्ट्रीय चुनाव आयोग को भी भेजी है।
शांतिपुर के बीडीओ का क्या कहना है?
शांतिपुर के बीडीओ संदीप घोष ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इस तरह की बैठकें चुनाव प्रक्रिया का एक सतत हिस्सा होती हैं और इसके लिए अलग से चुनाव आयोग की अनुमति आवश्यक नहीं है। उन्होंने कहा, “यह एक सतत प्रक्रिया है। विभिन्न राजनीतिक दलों के बूथ-स्तरीय प्रतिनिधियों की सूची तैयार करने के लिए यह बैठक बुलाई गई है।”
शांतिपुर से तृणमूल कांग्रेस के विधायक ब्रजकिशोर गोस्वामी ने शुभेंदु अधिकारी के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बैठक में सिर्फ तृणमूल ही नहीं, बल्कि भाजपा, कांग्रेस और माकपा के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया गया है। उन्होंने कहा, “अगर विपक्ष के नेता को लगता है कि यह बैठक असंवैधानिक है, तो इसका प्रमाण देना भी उन्हीं की जिम्मेदारी है। जब इसमें सभी दलों को बुलाया गया है, तो इसे पक्षपातपूर्ण या असंवैधानिक कैसे कहा जा सकता है?”