इस बार वट सावित्री व्रत के एक दिन बाद मनाई जाएगी शनि जयंती : आचार्य चेतन

चतरा, 21 मई । आमतौर पर वट सावित्री व्रत और शनि जयंती एक ही दिन ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। लेकिन इस बार वट सावित्री व्रत और शनि जयंती अलग-अलग दिन मनाये जाएंगे।

अखंड सुहाग की कामना को लेकर मनाया जाने वाला प्रतीक वट सावित्री व्रत इस वर्ष 26 म‌ई को मनाया जाएगा ।  हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को वट सावित्री व्रत का विशेष पर्व मनाया जाता है। यह व्रत सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु, उत्तम स्वास्थ्य और वैवाहिक जीवन में सुख-शांति की कामना के लिए रखा जाता है।

जन्मकुंडली, वास्तु और कर्मकाण्ड परामर्श के विशेषज्ञ आचार्य पंडित चेतन पाण्डेय ने बताया कि ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि 26 मई को दिन में 10: 54 मिनट से प्रारंभ होगा । यह अगले दिन 27 म‌ई दिन मंगलवार को सुबह 8:30 बजे तक रहेगा।

मध्याह्न वापिणी और प्रदोष कालीन अमावस्या 26 म‌ई दिन सोमवार को भोग कर रहा है।

ऐसे में वट सावित्री का व्रत 26 म‌ई दिन सोमवार को ही मनाये जाएंगे। जबकि शनि जयंती 27 म‌ई को उदया कालीन अमावस्या तिथि में बनेगा।

वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं वटवृक्ष की पूजा करती है और सावित्री-सत्यवान की कथा सुनाती हैं। मान्यता है कि सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और भक्ति के बल पर अपने मृत पति सत्यवान को यमराज से पुनर्जीवित कर लिया था। तभी से यह व्रत अखंड सौभाग्य का प्रतीक बन गया है। इस दिन वट सावित्री की पूजा और वटवृक्ष की परिक्रमा सुबह से ही प्रारंभ हो जाएगी। वट सावित्री व्रत के दिन इस बार ग्रह-नक्षत्रों के कई शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन भरणी नक्षत्र प्रातः काल 7:14 बजे तक भोग करेगा उसके बाद कृतिका नक्षत्र प्रवेश करेगा। जबकि इस दिन शोभन और अतिगण्ड नाम का योग भोग कर रहे हैं।

वहीं इस समय सूर्य वृष राशि में गोचर कर रहे हैं जबकि चंद्रमा भी इस दिन दोपहर में 12:51 के बाद वृष राशि में ही प्रवेश करेंगे। ऐसे में यह योग महिलाओं के लिए बहुत लाभप्रद होगा।

व्रत के दिन क‌ई महिलाएं निर्जला उपवास करती हैं। कुछ महिलाएं फलाहार का विकल्प भी चुनती हैं। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि उपवास के दौरान क्या खाया जा सकता है ताकि शरीर को आवश्यक ऊर्जा मिलती रहे और व्रत भी पूर्ण श्रद्धा से निभाया जा सके।

आचार्य ने बताया कि फलाहार के रूप में महिलाएं सेब, केला, आम और अंगूर का सेवन कर सकती हैं। ये फल शरीर को आवश्यक ऊर्जा प्रदान करते हैं और दिन भर के उपवास में थकावट से बचाते हैं। व्रत के दौरान नारियल पानी पीना भी लाभकारी होता है। यह शरीर में पानी की कमी नहीं होने देता और गर्मी के मौसम में ठंडक भी प्रदान करता है।

व्रत की कथा सुनें और वट वृक्ष की परिक्रमा करें

व्रत करते समय महिलाओं को नियमों और श्रद्धा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। पूजा के लिए समय साफ-सुथरे वस्त्र पहनें। 16 श्रृंगार अनिवार्य रूप से करें। व्रत कथा सुनें और वट वृक्ष की परिक्रमा करें। वट सावित्री व्रत न सिर्फ एक धार्मिक परंपरा है, बल्कि यह प्रेम, समर्पण और विश्वास का प्रतीक भी है। सही नियमों और श्रद्धा के साथ किया गया यह व्रत वैवाहिक जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देता है।