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उपराष्ट्रपति ने किया सैनिक स्कूल गोरखपुर का लोकार्पण
गोरखपुर, 7 सितंबर । उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बताते हुए यहां 2017 के बाद आए बदलाव के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मुक्तकंठ से सराहना की। उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में दुनिया में बनी भारत की अलग और सशक्त पहचान में उत्तर प्रदेश की गुणात्मक भागीदारी है। उन्होंने 2047 तक ‘विकसित भारत’ की संकल्पना को लेकर जारी अभियान में सबसे योगदान देने की अपील करते हुए कहा कि विकसित भारत के हवन में हरेक व्यक्ति को आहुति देनी चाहिए, क्योंकि हम देश के लिए जितना भी कर सकें, कम है।
उपराष्ट्रपति धनखड़ शनिवार को गोरखपुर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में सैनिक स्कूल के लोकार्पण समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर उपराष्ट्रपति की पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ भी उपस्थित थीं। उपराष्ट्रपति ने उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में आए परिवर्तन का उल्लेख करते हुए कहा कि वर्ष 2017 के बाद उप्र में शिक्षा, चिकित्सा, उद्यमिता तथा अन्य क्षेत्रों में गुणात्मक वृद्धि हुई है जबकि 2017 के पहले यह प्रदेश डर की चपेट में था। कानून व्यवस्था ठीक नहीं थी, आम आदमी परेशान रहता था। कई पहलुओं पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि सैनिक स्कूल गोरखपुर को मात्र तीन वर्ष में पूरा करवाकर योगी ने शानदार और चमत्कारिक कार्य कर दिखाया है। वैसे तो मुख्यमंत्री योगी के चमत्कारिक कार्यों की गूंज हर जगह सुनाई देती है। तीन वर्ष में सैनिक स्कूल बनकर संचालित होना मुश्किल और अकल्पनीय था लेकिन सीएम योगी ऐसा कर देंगे, यह विश्वास भी था।
भारतीयता हमारी पहचान, राष्ट्र हमारा धर्म
सैनिक स्कूल समेत सभी स्कूलों के विद्यार्थियों और आमजन को प्रेरित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारतीयता हमारी पहचान और राष्ट्र हमारा धर्म है। हमें निजी स्वार्थ से ऊपर राष्ट्र धर्म को रखना होगा। राष्ट्रवाद से समझौता राष्ट्र के साथ धोखा होगा। राष्ट्र पर प्रश्न चिह्न लगाने वालों को हमें बर्दाश्त नहीं करना है।
आज दस साल पहले वाला भारत नहीं
उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज का भारत दस साल पहले वाला भारत नहीं है। बल्कि सशक्त भारत है। पहले देश का सोना स्विट्जरलैंड के बैंक में गिरवी रखा जाता था, आज ऐसी स्थिति नहीं है बल्कि देश का स्वर्णकोष पर्याप्त है। जिस कश्मीर में कोई दिखता नहीं था, वहां अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद दो-तीन वर्ष से दो करोड़ से अधिक पर्यटक आ रहे हैं। संविधान निर्माताओं ने अनुच्छेद 370 को अस्थायी बनाया था लेकिन कुछ लोग इसे परमानेंट मान बैठे थे।
सफलता की शुरुआत का केंद्र है असफलता
धनखड़ ने विद्यार्थियों काे समझाते हुए कहा कि उन्हें असफलता से कभी डरना नहीं चाहिए, क्योंकि असफलता सफलता की शुरुआत का केंद्र है। उन्होंने कहा कि डर को मन से निकाल दें। डरेंगे तो आपकी प्रतिभा कुंठित होगी। उन्होंने चंद्रयान 3 की अभूतपूर्व सफलता का आधार चंद्रयान 2 की आंशिक सफलता को बताया। शिक्षा की महत्ता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि शिक्षा बदलाव का माध्यम है। सामाजिक कुरीतियों पर कुठाराघात शिक्षा के माध्यम से ही किया जा सकता है।
सीएम योगी का करिश्मा भविष्य की पीढ़ी निर्माण का रास्ता
उन्हाेंने कहा कि पूर्वांचल उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण अंग है। इस क्षेत्र के पहले सैनिक स्कूल का ढांचा अद्भुत है। इस शानदार सैनिक स्कूल के रूप में सीएम योगी ने जो करिश्मा किया है, वह भविष्य की पीढ़ी के निर्माण का रास्ता है। वह आश्वस्त हैं कि यह सैनिक स्कूल योगी की विशिष्ट छाप का प्रतिबिंब रहेगा।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि 1960 में देश के पहले सैनिक स्कूल की स्थापना उत्तर प्रदेश के लखनऊ में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. संपूर्णानंद ने की थी। अब उप्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य सोसाइटी के माध्यम से सैनिक स्कूल खोलने का सराहनीय कार्य किया है। कम समय में सैनिक स्कूल बनाकर और सबसे अधिक दिन मुख्यमंत्री रहकर योगी ने पूर्व सीएम डॉ. संपूर्णानंद का रिकार्ड तोड़ दिया है।
’सीएम योगी का निमंत्रण पाकर बहुत भावुक हो गया’
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि जब देश के सबसे बड़े प्रांत के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेरे आवास पर आकर सैनिक स्कूल गोरखपुर के लोकार्पण के लिए निमंत्रण पत्र दिया तो मैं बहुत भावुक हो गया। उन्होंने कहा कि वैसे तो योगी की हर बात असाधारण है पर सैनिक स्कूल के लिए इनका निमंत्रण पत्र भी असाधारण ही था। उन्होंने मुझे सैनिक स्कूल के एक पुरातन छात्र के रूप में निमंत्रित किया। योगी की नजर पैनी और पारखी है। मुझे बुलाने के लिए मुझ पर जितना होमवर्क उन्होंने किया, उतना मेरे निकट संबंधियों ने भी नहीं किया होगा। उपराष्ट्रपति ने कहा कि सैनिक स्कूल के लोकार्पण समारोह में आकर वह काफी भावविभोर और प्रफुल्लित हैं। आज उनके सामने छह दशक पूर्व का दृश्य जीवंत हो रहा है, जब वह खुद सैनिक स्कूल के छात्र थे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेरे लिए यह अविस्मरणीय काम कर दिया है। धनखड़ ने कहा कि इस निमंत्रण के जरिये मुख्यमंत्री योगी ने यह भान भी कराया कि शिक्षा बदलाव लाने, असमानता दूर कर समानता पैदा करने का माध्यम है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि सैनिक स्कूल गोरखपुर के लोकार्पण के लिए मौका देकर आपने (योगी) मेरे जीवन में नया अध्याय जोड़ दिया है। इसे कभी नहीं भूलेंगे।
हर राज्य को प्रेरणा देगा यह सैनिक स्कूल
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि गोरखपुर का सैनिक स्कूल हर राज्य को प्रेरणा देगा कि वह भी इसके तर्ज पर सोसाइटी बनाकर अपने राज्य में सैनिक स्कूल की स्थापना करें। उन्होंने कहा कि इस सैनिक स्कूल के लोकार्पण समारोह में आकर आज मेरा जो लगाव गोरखपुर से हुआ है, वह जीवन पर्यंत बना रहेगा। सैनिक स्कूल के लोकार्पण समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और नाथ संप्रदाय की साधनास्थली गोरक्षभूमि को नमन करते हुए इसका अपने गृह क्षेत्र राजस्थान से रिश्ता जोड़ा। उन्होंने कहा कि वर्तमान गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ के दादागुरु महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज राजस्थान के उदयपुर से थे। गीता प्रेस के हनुमान प्रसाद पोद्दार का ताल्लुक भी राजस्थान से ही था। उन्होंने कहा कि यह उनका परम सौभाग्य रहा है कि सीएम योगी के गुरुदेव महंत अवैद्यनाथ जी के साथ वह लोकसभा के सदस्य रहे। केंद्र में जब वह मंत्री बने तो उन्होंने जिन कुछ लोगों का आशीर्वाद लिया था, उसमें महंत अवैद्यनाथ जी भी एक थे।
टेराकोटा की गणेश प्रतिमा भेंटकर सीएम ने किया उपराष्ट्रपति का अभिनंदन
सैनिक स्कूल के लोकार्पण समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अंगवस्त्र तथा टेराकोटा की गणेश जी की प्रतिमा भेंटकर उपराष्ट्रपति का अभिनंदन किया। इस अवसर पर माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने उपराष्ट्रपति की पत्नी डॉ. सुदेश धनखड़ को टेराकोटा की गणेश जी की प्रतिमा भेंट की।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मेजबानी में हुए इस समारोह में केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री कमलेश पासवान, बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) संदीप सिंह, सांसद रविकिशन शुक्ल, जिला पंचायत अध्यक्ष साधना सिंह, महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव, एमएलसी डॉ. धर्मेंद्र सिंह, विधायक फतेह बहादुर सिंह, महेंद्रपाल सिंह, श्रीराम चौहान, विपिन सिंह, डॉ. विमलेश पासवान, प्रदीप शुक्ल, सरवन निषाद आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।