सुखाड़िया विश्वविद्यालय का 31वां दीक्षांत समारोह
115 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक और 186 को पीएचडी की डिग्रियां
115 में से 82 गोल्ड मैडल बेटियों के नाम
उदयपुर, 21 नवम्बर। कुलाधिपति एवं राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि हमारा देश युवाओं का देश है और युवा ऊर्जा के बल पर ही हम एक विकसित भारत की सकारात्मक कल्पना करते हैं। उन्होंने ‘विकसित भारत-2047’ की संकल्पना व्यक्त करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय इसके संवाहक बनें।
राज्यपाल मिश्र गुरुवार को यहां मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के 31वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। विवेकानंद ऑडिटोरियम में आयोजित दीक्षांत कार्यक्रम में राज्यपाल मिश्र ने 115 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक और 186 को पीएचडी की डिग्रियां प्रदान की। 115 में से 82 गोल्ड मैडल बेटियों के नाम रहे। दीक्षांत उद्बोधन गुजरात केन्द्रीय विश्वविद्यालय गांधीनगर के कुलपति प्रो. रमाशंकर दूबे ने दिया।
राज्यपाल ने कन्वोकेशन को अंग्रेजी का एक शब्द बताते हुए कहा कि पश्चिमी सभ्यता में यह डिग्री प्रदान करने के सीमित अर्थ में ही प्रयुक्त किया जाता है, लेकिन भारतीय शिक्षा पद्धति संस्कार निर्माण से जुड़ी है। दीक्षांत समारोह डिग्री प्रदान करने की औपचारिकता भर नहीं है क्योंकि दीक्षांत का अर्थ है-नव जीवन की शुरुआत, यानी समावर्तन संस्कार है। ‘समावर्तन’ का अर्थ -संस्कारित होकर जीवन में फिर से लौटना है। दीक्षांत शब्द ब्रह्म रूप में जीवन-पथ के आलोक का संवाहक है।
तैत्तिरीय उपनिषद् और शिक्षावल्ली खंड के ग्यारहवें सूत्र का उदाहरण देते हुए राज्यपाल ने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि जो शिक्षा विश्वविद्यालय में प्राप्त की है, उसको जीवन व्यवहार में अपनाएँ। जो ज्ञान अर्जित किया है, उसका कैसे राष्ट्र और समाज के विकास में अधिकाधिक उपयोग हो सकता है, इसको सर्वोपरि रखते हुए कार्य करें।
उन्होंने युवाओं से कहा कि देश के स्वप्नदृष्टा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विकसित भारत की जो कल्पना संजोई है, उसे साकार करने में युवाओं की महती भूमिका निर्धारित की गयी है इसी भूमिका को स्मरण करते हुए भारत समृद्ध और सुख-संपन्न तभी होगा जब अपने प्राचीन और अर्वाचीन इतिहास को याद रखते हुए हम आगे बढ़ेंगे। शिक्षा क्षेत्र में आज सबसे बडी जरूरत यह है हम किसी एक विषय नहीं, जीवन के सर्वांगीण विकास से जुड़े सभी विषयों का समावेश करें यही वक्त की जरूरत है उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा हाल ही नैक परीक्षण पूरा करके ए ग्रेड प्राप्त करने पर बधाई दी।
नॉर्थ कैंपस के रूप में बिलोता के कन्या महाविद्यालय में शिक्षण सत्र प्रारंभ होने पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय का यह कार्य अनुकरणीय है। निश्चित ही इससे ग्रामीण निर्धन परिवारों की बालिकाओं को उनके गाँव के निकट ही उच्च शिक्षा प्राप्त करने के अधिकाधिक अवसर उपलब्ध हो सकेंगे। बालिका शिक्षा किसी भी समाज की नींव होती है। एक बालिका यदि पढ़ती है तो समझ लीजिए, पूरा समाज तब शिक्षित हो जाता है।
उन्होंने सुझाव दिया कि विश्वविद्यालयों को चाहिए कि वे व्यापक समाज के हित में ऐसे पाठ्यक्रम तैयार कर उनको पढ़ाने की व्यवस्था सुनिश्चित करें, जिससे विद्यार्थी बेहतर नागरिक बनने के साथ राष्ट्र के विकास में प्रत्यक्ष भागीदारी निभा सकें।
राज्यपाल मिश्र ने कहा कि यह सुखद है कि मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय प्रदेश के आदिवासी एवं जनजातीय बहुल क्षेत्र में उच्च शिक्षा के प्रचार-प्रसार में जुटा हुआ है। मैं चाहता हूँ, स्थानीय परम्पराओं और उपलब्ध संसाधनों के उत्कृष्ट उपयोग के लिए भी यह कार्य करें। युवाओं को यहाँ विभिन्न विषयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ उद्यमिता से जोड़ने के कार्य भी किए जाएँ। शिक्षा के साथ-साथ शोध और नवाचारों की दिशा में भी विशेष सोच रखते हुए अधिकाधिक कार्य हों । यहाँ से पढ़कर निकला विद्यार्थी उदात्त मानवीय मूल्यों के साथ सनातन भारतीय संस्कृति की संकल्पना को साकार करे।
उन्होंने आग्रह किया कि विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति के आलोक में राष्ट्र की भावी आवश्यकताओं के परिप्रेक्ष्य में नवाचार अपनाते हुए शोध और अनुसंधान की मौलिक दृष्टि के विकास के लिए कार्य करें। शिक्षा का प्रसार इस तरह से हो कि विद्यार्थी पढ़ाई के बाद आत्मनिर्भर बन सके।
मुख्य अतिथि गुजरात केन्द्रीय विश्वविद्यालय गांधीनगर के कुलपति प्रो. रमाशंकर दूबे ने दीक्षांत उद्बोधन दिया। उन्होंने कहा कि दीक्षान्त एक पावन समारोह होता है यह एक ऐतिहासिक दिन है, जब आप अथक परिश्रम से उपाधियाँ प्राप्त करके व्यवहारिक जीवन में प्रवेश करने जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारत विश्व की प्राचीनतम समृद्ध संस्कृति और सभ्यता वाला देश है। प्राचीन भारत एक उन्नत ज्ञान आधारित समाज था जहाँ वैदिक एवं उपनिषदिक काल से ही गुरूकुल के रूप में शिक्षा की एक गौरवशाली परम्परा थी। इस परम्परा का निर्माण उच्च कोटि के ज्ञानी गुरुओं, ऋषियों और उद्भट विद्वानों ने किया था।
उन्होंने प्रधान मंत्री के नेतृत्व में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की घोषणा को एक सशक्त ज्ञान आधारित विकसित राष्ट्र बनाने तथा इसे वैश्विक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक एवं क्रांतिकारी क़दम बताया। उन्होंने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य छात्र का चरित्र निर्माण है, सही मानव का निर्माण है तथा राष्ट्र का निर्माण है। हमें ऐसी युवा पीढ़ी का निर्माण करना है जिनकी जड़ें पूर्ण रूप से भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों एवं परम्पराओं में समाहित हों लेकिन उनकी दृष्टि वैश्विक हो।
दीक्षांत समारोह के शुरू में कुलपति प्रो. सुनीता मिश्रा ने प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए बताया कि हाल ही विश्वविद्यालय के विस्तार परिसर नॉर्थ कैंपस, बिलोता का लोकार्पण हुआ है। जहाँ स्नातक प्रथम वर्ष कला में इस वर्ष सौ छात्राएँ अध्यनरत हैं। इस नॉर्थ कैंपस में जल्दी ही अन्य संकाय और विषय भी संचालित किए जायेंगे।
प्रोफेसर मिश्रा ने कहा कि मुझे आपको सूचित करते हुए गर्व की अनुभूति हो रही है कि हाल ही में हमारे विश्वविद्यालय में नैक मूल्यांकन का तीसरा राउंड संपन्न हुआ। यह प्रक्रिया 9 साल बाद हुई है। विश्वविद्यालय परिवार के सामूहिक प्रयासों से हमने नैक में प्रतिष्ठित ‘ए’ ग्रेड प्राप्त की है। उन्होंने कहा कि हम शीघ्र ही टीचिंग और नॉन टीचिंग कैडर में खाली पदों पर भर्तियाँ करने जा रहे हैं जिसकी प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है। सेवारत शिक्षकों को भी अगले महीने कैरियर एडवान्समेंट स्कीम (सीएएस) के माध्यम से पदोन्नत करने जा रहे हैं। कुलपति प्रोफेसर मिश्रा ने बताया कि एक नये बहु मंजिले प्रशासनिक भवन का निर्माण किया जाएगा जिसके विविध तलों पर कुलपति सचिवालय, कुलसचिव सचिवालय, परीक्षा नियंत्रक कार्यालय, वित्त नियंत्रक कार्यालय, डीन रिसर्च कार्यालय, एससी-एसटी सेल आदि कार्यालय होंगे। साथ ही, 500-500 छात्रों की बैठक क्षमता वाले दो हॉल भी बनाए जाएंगे जो कि परीक्षा आयोजन के लिए उपयोगी होंगे।
दीक्षांत समारोह में विभिन्न संकायों में सर्वश्रेष्ठ अंक प्राप्त करने पर कुल 115 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। इसमें 82 छात्राएं गोल्ड मैडल प्राप्त करने वालों में शामिल हैं, जबकि 33 छात्रों को गोल्ड मेडल दिए गए। इन गोल्ड मैडल में 7 चांसलर्स गोल्ड मैडल है जबकि पीसी रांका की स्मृति में 2, डॉ सीबी मेमोरिया की स्मृति में 7, प्रो विजय श्रीमाली की स्मृति में दो, विजय सिंह देवपुरा की स्मृति में एक और प्रो ललित शंकर- पुष्पा देवी शर्मा की स्मृति में एक गोल्ड मेडल प्रदान किया गया। इस अवसर पर कुल 186 पीएचडी की डिग्रियां प्रदान की जाएगी, जिसमें 100 छात्राएं और 86 छात्र शामिल है। पीएचडी डिग्री प्राप्त करने वालों में वाणिज्य में 21, पृथ्वी विज्ञान में 12, शिक्षा संकाय में 20, मानविकी में 41, विधि में 3, प्रबंध अध्ययन में 6, विज्ञान में 37 और समाज विज्ञान संकाय में 46 विद्यार्थियों की पीएचडी डिग्रियां शामिल है। इस अवसर पर राज्यपाल ने बहुमंजिला प्रशासनिक भवन एवं मल्टीपरपज एग्जामिनेशन ब्लॉक का शिलान्यास भी किया।
दीक्षांत कार्यक्रम से पूर्व राज्यपाल को विश्वविद्यालय की तीनों एनसीसी इकाइयों द्वारा गार्ड ऑफ़ ऑनर दिया गया। दीक्षांत समारोह का संचालन रजिस्ट्रार विनय पाठक ने किया। इस अवसर महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अजीत कुमार कर्नाटक, राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एसएस सारंगदवोत एवं उत्तर प्रदेश सरकार के पुलिस महानिदेशक एसएन साबत भी उपस्थित रहे।