मुंबई, 10 मई। महाराष्ट्र अंधश्रद्धा उन्मूलन समिति के संस्थापक डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या मामले में शुक्रवार को विशेष कोर्ट के न्यायाधीश पीपी जाधव ने सचिन अंदुरे और शरद कालस्कर को आजीवन कारावास और पांच-पांच लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। इस मामले में तीन अन्य आरोपित डॉ. वीरेंद्र सिंह तावड़े, विक्रम भावे और संजीव पुनालेकर को पुख्ता सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया है। नरेंद्र दाभोलकर के बेटे हमीद दाभोलकर ने इस निर्णय का स्वागत किया है। दाभोलकर ने कहा कि तीन आरोपितों को निर्दोष बरी किया गया है, उन्हें सजा दिलाने के लिए वे हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे।

विशेष न्यायाधीश पीपी जाधव ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले में पुलिस और सरकार तीन आरोपितों के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत पेश नहीं कर पाई है। इसलिए तीनों आरोपितों को इस अपराध से बरी किया जा रहा है। सचिन अंदुरे और शरद कालस्कर ने फायरिंग की बात कबूल कर ली है। पुलिस ने उनके विरुद्ध सक्षम साक्ष्य न्यायालय में प्रस्तुत किये। उसी आधार पर दोनों को सजा सुनाई जा रही है। न्यायाधीश पाटिल ने यह भी कहा कि जांच अधिकारियों की ओर से सही जांच नहीं की गई और जांच में लापरवाही बरती गई । इसके साथ जांच टीम यूएपीए की धारा साबित नहीं कर सकी है।

उल्लेखनीय है कि 20 अगस्त 2013 की सुबह पुणे के ओंकारेश्वर मंदिर के पास महर्षि शिंदे पुल पर डॉ. दाभोलकर की पिस्तौल से गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड की शुरुआती जांच पुणे पुलिस ने की। उसके बाद एटीएस और अंत में सीबीआई ने सभी हत्याकांड की जांच की। इस मामले में 72 गवाहों को चिन्हित किया गया, इनमें से केवल 20 गवाहों से पूछताछ की गई और बाकी को पूछताछ नहीं की गई। इसके बाद 15 सितंबर 2021 को आरोपित डॉ. वीरेंद्र सिंह तावड़े, सचिन अंदुरे, शरद कालस्कर, संजीव पुनालेकर और विक्रम भावे के खिलाफ आरोप तय किए गए थे।