
वाशिंगटन, 24 जुलाई । द वाल स्ट्रीट जनरल अखबार की विशेष खबर से सुर्खियों में आए जेफरी एपस्टीन केस में ट्रंप प्रशासन को झटका लगा है। अमेरिकी न्याय विभाग के अनुरोध को वेस्ट पाम बीच (फ्लोरिडा) के यूएस डिस्ट्रिक्ट जज रॉबिन रोसेनबर्ग ने ठुकरा दिया। विभाग ने अदालत से इस केस से जुड़ी ग्रैंड जूरी की प्रतिलिपियां (गोपनीय दस्तावेज) सार्वजनिक करने का आग्रह किया था।
द न्यूयॉर्क टाइम्स और एनबीसी न्यूज की खबर के अनुसार, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी को इस केस से संबंधित सभी जरूरी ग्रैंड जूरी दस्तावेज जारी करने का निर्देश दिया था। जज रॉबिन रोसेनबर्ग ने अमेरिकी न्याय विभाग के अनुरोध पर बुधवार को फैसला सुनाया। फैसले में कहा गया कि एपस्टीन की जांच के सिलसिले में 2005 और 2007 के संघीय ग्रैंड जूरी ट्रांसक्रिप्ट जारी करने में अदालत के हाथ बंधे हुए हैं।
उल्लेखनीय है कि एपस्टीन की 2019 में न्यूयॉर्क में मुकदमे का फैसला आने से पहले जेल में मृत्यु हो गई थी। उनकी महिला मित्र गिस्लेन मैक्सवेल को 2021 में दोषी ठहराया गया था। वह 20 साल की सजा काट रही है। रोसेनबर्ग ने फैसले में लिखा कि सरकार ने वास्तव में स्वीकार कर लिया है कि अदालत के हाथ बंधे हुए हैं, क्योंकि 11वीं अमेरिकी सर्किट अपील अदालत ने एक बाध्यकारी मिसाल कायम की है।
सनद रहे द वॉल स्ट्रीट जर्नल की खबर में खुलासा किया गया है कि ट्रंप ने 2003 में एपस्टीन को उनके 50वें जन्मदिन पर एक अश्लील पत्र भेजा था। ट्रंप ने इस खुलासे के बाद द वाल स्ट्रीट जनरल के प्रकाशक, उसके दो पत्रकारों और न्यूज कॉर्प के संस्थापक रूपर्ट मर्डोक पर मुकदमा दायर किया है। अखबार ने कहा है कि वह अपनी खबर पर कायम है।
संयुक्त राज्य अमेरिका में इस केस की चर्चा होने का बड़ा कारण यह भी है कि एपस्टीन और उनकी महिला मित्र गिस्लेन मैक्सवेल के मशहूर लोगों से संबंध थे। इनमें राजघरानों के सदस्य, राष्ट्रपतियों और अरबपतियों के नाम शामिल हैं। एपस्टीन अमीर फाइनेंसर थे। उन पर कम उम्र की लड़कियों के यौन शोषण और तस्करी के गंभीर आरोप थे। उनकी मौत पर अब भी संदेह और साजिश के बादल मंडरा रहे हैं। संघीय अभियोजकों का अब भी कहना है कि एपस्टीन ने 1,000 से ज्यादा नाबालिग लड़कियों को इस नरक में धकेला।