कोलकाता, 5 अप्रैल (हि.स.)। पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस द्वारा प्रदेश के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु को राज्य मंत्रिमंडल से हटाने की अनुशंसा किए जाने के बाद तृणमूल कांग्रेस समर्थक शिक्षाविदों के एक मंच ने राज्यपाल पर राज्य में उच्च शिक्षा को कमजोर और ध्वस्त करने की योजनाबद्ध साजिश रचने का आरोप लगाया है । इस मंच का आरोप है कि राज्य संचालित विश्वविद्यालयों को कमजोर करने में उनकी भूमिका को उजागर करने के कारण ही राज्यपाल ने मंत्री ब्रात्य बसु को निशाना बनाया हैं।
राज्यपाल ने गुरुवार को कहा कि बसु ने हाल ही में गौर बंग विश्वविद्यालय में राजनेताओं के साथ बैठक करके चुनावी आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया है। उन्होंने राज्य सरकार से मंत्री को कैबिनेट से हटाने की मांग की।
वहीं ब्रात्य बसु ने बोस द्वारा उन्हें कैबिनेट से हटाने की मांग को हास्यास्पद बताया है और कहा कि राज्यपाल ने ‘‘अपने संवैधानिक पद का दुरुपयोग कर अपनी राजनीतिक पहचान उजागर की है’’।
‘फोरम की ओर से प्रोफेसर ओमप्रकाश मिश्रा और प्रोफेसर रंजन चक्रवर्ती की ओर से हस्ताक्षरित बयान में कहा गया, ”ऐसा लगता है कि कुलाधिपति सह राज्यपाल भूल गए हैं कि हमारे देश में संसदीय प्रणाली की सरकार है, जहां निर्वाचित प्रतिनिधि सरकार बनाते हैं और इस संबंध में उनकी कोई भूमिका नहीं है।” संस्था ने बोस पर राज्य में उच्च शिक्षा को कमजोर और ध्वस्त करने की साजिश रचने का आरोप लगाया।
बयान में कहा गया है कि ‘ विश्वविद्यालयों से संबंधित अधिनियमों व कानूनों की अवहेलना करके विश्वविद्यालयों तथा राज्य सरकार के बीच कलह और वैमनस्य को बढ़ावा दिया है। राज्यपाल ने कुलाधिपति के रूप पश्चिम बंगाल की विश्वविद्यालय प्रणाली में समानांतर प्रशासन चलाने की कोशिश की है।