बारासात (उत्तर 24 परगना), 22 जुलाई। तृणमूल कांग्रेस की 21 जुलाई की वार्षिक रैली के बाद बारासात के दत्तपुकुर काशिमपुर ग्राम पंचायत क्षेत्र में एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें कथित रूप से बस में बैठे कुछ लोगों को पैसे बांटते हुए देखा जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि ये लोग तृणमूल समर्थक हैं और रैली के बाद घर लौटने के दौरान उन्हें पैसे दिये जा रहे हैं।

हिन्दुस्थान समाचार वायरल वीडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं करता। वीडियो वायरल होने के बाद राजनीतिक गलियारों में बवाल मच गया है। विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर तृणमूल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। स्थानीय भाजपा नेता समरजीत घोष ने कहा है कि तृणमूल की जमीन खिसक चुकी है। अब पार्टी निचले स्तर के कार्यकर्ताओं को पैसे देकर रैलियों में ला रही है। अगर वे नहीं जाते तो शायद उनकी रोजी-रोटी छिन जाती। लोग पेट की मजबूरी और राजनीतिक दबाव में शामिल हो रहे हैं।

दूसरे तरफ माकपा नेता हबीब अली ने आरोप लगाया कि यह सिर्फ पैसे तक सीमित नहीं है। मांस, शराब जैसी चीज़ों के जरिए भी लोगों को लुभाया जा रहा है। यह तृणमूल की राजनीतिक संस्कृति का हिस्सा बन चुका है।

सारे आरोपों और वीडियो को एक सिरे से नकारते हुए कासिमपुर के तृणमूल अध्यक्ष अमल विष्णु ने कहा है कि यह वीडियो बारासात या दत्तपुकुर के किसी हिस्से का नहीं है। विपक्षी दल तृणमूल को बदनाम करने के लिए झूठ फैला रहे हैं। हमारे कार्यकर्ता पैसे से खरीदे नहीं जा सकते हैं। उन्होंने आगे कहा है कि हमारे कार्यकर्ता स्वेच्छा से और जोश के साथ रैली में हिस्सा लेते हैं, जबकि भाजपा को प्रधानमंत्री की रैली के लिए उत्तर प्रदेश और बिहार से भीड़ बुलानी पड़ती है। तृणमूल के कार्यकर्ता बिकाऊ नहीं हैं।

तृणमूल के प्रवक्ता अरूप चक्रवर्ती ने भी इस वीडियो को फर्जी बताते हुए कहा है कि 21 जुलाई हमारे कार्यकर्ताओं की भावना से जुड़ा हुआ दिन है। लाखों लोग स्वेच्छा से शामिल हुए, इसका प्रमाण रैली की भीड़ है। यह वीडियो सिर्फ सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, इसकी सत्यता की कोई पुष्टि नहीं हुई है।