साहित्य संस्थान के पूर्व निदेशक और इनटेक उदयपुर चैप्टर के समन्वयक डॉ. ललित पाण्डेय की श्रद्धांजलि सभा में बोलेे शिक्षाविद

उदयपुर, 01 अक्टूबर। साहित्य संस्थान के पूर्व निदेशक वरिष्ठ पुराविद डॉ. ललित पाण्डेय को महज इतिहासविद और पुराविद कहना उचित नहीं हो सकता, वे मार्गदर्शक थे और सबसे महत्वपूर्ण वे ऐसे शिक्षक थे जो सभी में हर वक्त कुछ न कुछ सीखने, समझने, गहराई से अध्ययन करने की जिज्ञासा जगाते थे।

यह विचार मंगलवार को यहां अशोक नगर स्थित विज्ञान समिति सभागार में उनकी स्मृति में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में शिक्षाविदों, इतिहासविदों, पुरातत्वविदों, शोधार्थियों सहित विभिन्न संस्थाओं के पदाधिकारियों ने अपनी शोक संवेदनाओं में व्यक्त किए। सभी ने कहा कि उनकी शोधदृष्टि और शोध से प्राप्त नवीन जानकारी को सामान्यजन तक पहुंचाने का संकल्प दृढ़ था। उनका प्रयास रहता था कि आमजन भी अपने इतिहास की जानकारी के नवीन तथ्यों से परिचित रह सकें। उनके कई शोध ऐसे रहे जिन्होंने प्राचीन इतिहास को और भी स्पष्टता की ओर ले जाने का कार्य किया। आज वे इतिहास के पन्नों में अंकित हो गए। उन्हें शोध का सुनहरा हस्ताक्षर कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। वे सेवानिवृत्ति के बाद भी शोध के क्षेत्र में निरंतर सक्रिय रहे और अंतिम सांस लेने तक भी वे इनटेक के उदयपुर चैप्टर के कन्वीनर रहते हुए शहर के पुरावैभव के संरक्षण की दिशा में कार्य कर रहे थे।

श्रद्धांजलि सभा में साहित्य संस्थान के निदेशक प्रो. जीवन सिंह खरकवाल ने दिवंगत डॉ. पाण्डेय का जीवन वृत्त प्रस्तुत करते हुए कहा कि डॉ. पाण्डेय ने जर्नादन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ के रजिस्ट्रार व साहित्य संस्थान के निदेशक रहने के साथ देश के कई विश्वविद्यालयों को इतिहास और पुरातत्व विषय को लेकर उल्लेखनीय मार्गदर्शन दिया। गुरुकुल कांगड़ी (समविश्वविद्यालय) हरिद्वार के प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व के छात्र रहे। डॉ. पाण्डेय ने गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से प्रोफेसर विनोद चंद्र सिन्हा के निर्देशन में मौर्य काल में नौकरशाही विषय पर पीएचडी की। सुप्रसिद्ध जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय नई दिल्ली में बौद्ध धर्म के अंतरराष्ट्रीय विद्वान प्रोफेसर राम राहुल के निर्देशन में 1 वर्ष तक शोध कार्य किया। इसके बाद गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय हरिद्वार में व्याख्याता के रूप में सेवाएं दीं।

सीएम धामी ने भी व्यक्त की संवेदनाएं

-उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी डॉ. पाण्डेय के निधन पर संवेदनाएं व्यक्त की। उत्तराखण्ड के महानिदेशक (सूचना) बंशीधर तिवारी, एनयूजेआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष रास बिहारी, महामंत्री प्रदीप तिवारी, राष्ट्रीय सचिव कैलाश चंद्र जोशी, उत्तराखंड एनयूजेआई के प्रदेश संरक्षक संजय तलवार, महासचिव डॉक्टर नवीन चंद्र जोशी, जिला अध्यक्ष हरिद्वार आदेश त्यागी, महासचिव डॉक्टर शिवा अग्रवाल, प्रेस क्लब हरिद्वार के अध्यक्ष शर्मा, महासचिव डॉ प्रदीप जोशी ने डॉक्टर ललित पांडेय को एक लिखित संदेश भेजकर श्रद्धांजलि अर्पित की।

उत्तराखण्ड समिति उदयपुर के अध्यक्ष शैलेन्द्र सिंह बिष्ट, सचिव रमेश चंद्र जोशी, जर्नादन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी) के कुलपति कर्नल प्रो. एसएस सारंगदेवोत, कुल प्रमुख भंवर लाल गुर्जर, विज्ञान समिति के अध्यक्ष डॉ. महीप भटनागर, महासचिव डॉ. आरके गर्ग, वरिष्ठ इतिहासविद डॉ. देव कोठारी, भूगोलविद पीआर व्यास, बीएन यूनिवर्सिटी के व्याख्याता डॉ. कमल सिंह राठौड़, गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर प्रभात सिंगर, प्रोफेसर देवेंद्र गुप्ता आदि ने एक शोक संदेश भेजकर श्रद्धांजलि अर्पित की। उदयपुर शहर विधायक ताराचंद जैन, उदयपुर ग्रामीण विधायक फूल सिंह मीणा, महापौर गोविन्द सिंह टांक, उपमहापौर पारस सिंघवी, स्वच्छ भारत मिशन के सदस्य केके गुप्ता, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव दिनेश श्रीमाली, महात्मा गांधी जीवन दर्शन समिति के जिला संयोजक पंकज कुमार शर्मा, प्रत्यूष सम्पादक विष्णु शर्मा हितैषी, राजस्थान जार के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष शर्मा, प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष कौशल मूंदड़ा, प्रदेश सचिव राजेश वर्मा, जिलाध्यक्ष राकेश शर्मा राजदीप, इनटेक के गौरव सिंघवी, अक्षय लोकजन व लोकजन सेवा संस्थान के जयकिशन चौबे, प्रो. विमल शर्मा, डॉ. मनीष श्रीमाली, मनोहर मूंदड़ा, ठा. इंद्र सिंह राणावत, प्रो. महेश शर्मा आदि ने भी संवेदनाएं व्यक्त की और दिवंगत डॉ. पाण्डेय की पत्नी श्रीमती नीलकमल, पुत्र आशुतोष, भाई सुनील पांडेय, बहन बहनोई श्रीमती गौरी संतोष पंत, पुत्री अदिति दामाद दीपक तिवारी एवं अन्य परिवारजनों को ढांढ़स बंधाया।