
कोलकाता, 26 जून । कलकत्ता हाईकोर्ट ने आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज की डॉक्टर के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले में पीड़िता के माता-पिता द्वारा अपराध स्थल का निरीक्षण करने की अनुमति मांगने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि इस पर निर्णय अब ट्रायल कोर्ट को लेना है।
न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष की एकल पीठ ने गुरुवार को कहा कि चूंकि मामले की आगे की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) कर रही है और अतिरिक्त मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (एसीजेएम), सियालदह के समक्ष मामला विचाराधीन है, ऐसे में इस चरण पर कोई आदेश एसीजेएम को सूचित किए बिना पारित नहीं किया जा सकता।
पीड़िता के माता-पिता की ओर से वकील फिरोज एडुल्जी ने अदालत से अनुरोध किया कि उन्हें अपराध स्थल का निरीक्षण करने की अनुमति दी जाए, हालांकि उस कमरे को छोड़कर जहां उनकी बेटी का शव नौ अगस्त 2024 को पाया गया था।
इस बहुचर्चित मामले की जांच शुरू में कोलकाता पुलिस के पास थी, लेकिन देशभर में भारी आक्रोश और विरोध प्रदर्शनों के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट ने इसे सीबीआई को सौंप दिया था। बाद में 17 सितंबर 2024 को उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई द्वारा दाखिल नई स्थिति रिपोर्ट को “विचलित करने वाला” बताया था और विक्टिम की पहचान उजागर करने वाले विकिपीडिया पृष्ठ को तत्काल हटाने का निर्देश भी दिया था।
राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कल्याण बनर्जी ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि अगर याचिकाकर्ता इस मामले की पुनः जांच चाहते हैं तो उन्हें स्पष्ट रूप से यह बताना होगा और साथ ही पूरी जांच प्रक्रिया को प्रारंभ से समाप्त करने की प्रार्थना भी करनी होगी।
इस मामले में पूर्व सिविक वोलंटियर संजय रॉय को अदालत ने डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या का दोषी ठहराते हुए उम्रकैद (जीवन के अंत तक) की सजा सुनाई है। इसके खिलाफ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी प्रतिक्रिया दी थी और कहा था कि वह दोषी को फांसी की सज़ा चाहती थीं।
घटना के बाद आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज में हुई हिंसा और तोड़फोड़ के संबंध में अब तक कोलकाता पुलिस 19 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। अस्पताल के आपातकालीन वार्ड, नर्सिंग स्टेशन, मेडिसिन स्टोर और ओपीडी के कई हिस्सों में तोड़फोड़ की गई थी। इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इसे “राज्य तंत्र की पूरी तरह विफलता” बताया।