भोपाल, 17 दिसंबर । पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के नदी जोड़ सपने को साकार करने के लिए निरंतर 20 वर्षों से किए जा रहे प्रयास अब मूर्त रूप ले रहे हैं। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में आज राजस्थान की राजधानी जयपुर में मध्य प्रदेश और राजस्थान को समृद्ध और किसानों को खुशहाल बनाने वाली पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना (पीकेसी) के लिए त्रि-पक्षीय अनुबंध होने जा रहा है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि परियोजना वर्ष-2004 में मध्य प्रदेश एवं राजस्थान को सिंचाई एवं पेयजल सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रस्तावित की गई थी, परंतु दोनों राज्यों के मध्य जल बंटवारे पर सहमति न बन पाने के कारण परियोजना का क्रियान्वयन नहीं हो सका। अब वह गौरवशाली दिन आ गया है जब परियोजना के लिए त्रि-पक्षीय समझौता होगा और परियोजना का कार्य आगे बढ़ेगा। यह परियोजना केंद्र और राज्य सरकार के अथक प्रयासों का परिणाम है।जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने बताया कि इस परियोजना से चंबल और मालवा क्षेत्र की तस्वीर एवं तकदीर बदलेगी। सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र तरक्की होगी। इस परियोजना से प्रदेश के मालवा और चंबल क्षेत्र में 6 लाख 13 हजार 520 हेक्टेयर में सिंचाई होगी और 40 लाख की आबादी को पेयजल उपलब्ध होगा। इसके अतिरिक्त लगभग 60 वर्ष पुरानी चंबल दाईं मुख्य नहर एवं वितरण-तंत्र प्रणाली के आधुनिकीकरण कार्य से भिंड, मुरैना एवं श्योपुर जिले में कृषकों की मांग अनुसार पानी उपलब्ध कराया जाएगा।उन्होंने बताया कि परियोजना से प्रदेश के गुना, मुरैना, शिवपुरी, भिंड, श्योपुर, उज्जैन, सीहोर, मंदसौर, इंदौर, धार, आगर मालवा, शाजापुर और राजगढ़ जिलों के 3217 ग्रामों को लाभ मिलेगा। पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना मध्य प्रदेश एवं राजस्थान दोनो़ं राज्यों के किसानों और नागरिकों के लिए वरदान साबित होगी। इससे किसानों को भरपूर सिंचाई के लिए पानी मिलेगा और विकास के नये द्वार खुलेंगे। परियोजना से दोनों राज्यों में समृद्धि आयेगी। परियोजना से मिलने वाले जल से किसान अपनी उपज को दोगुना कर सकेंगे, जिससे उनके परिवार के साथ प्रदेश भी समृद्ध होगा।पार्वती-कालीसिंध-चंबल लिंक परियोजना की अनुमानित लागत 72 हजार करोड़ है, जिसमें मध्य प्रदेश 35 हजार करोड़ और राजस्थान 37 हजार करोड़ रुपये व्यय करेगा। केन्द्र की इस योजना में कुल लागत का 90 प्रतिशत केन्द्रांश और 10 प्रतिशत राज्यांश रहेगा। परियोजना की कुल जल भराव क्षमता 1908.83 घन मीटर होगी। साथ ही 172 मिलियन घन मीटर जल, पेयजल और उद्योगों के लिये आरक्षित रहेगा। परियोजना अंतर्गत 21 बांध/बैराज निर्मित किए जाएंगे।
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