जिम्मेदारी पूर्ण पर्यटन से प्रकृति व समृद्धि पोषण विषयक सेमिनार सम्पन्न
ओंकार समाचार
उदयपुर, 27 नवम्बर, “जिम्मेदारी पूर्ण पर्यटन से प्रकृति व समृद्धि पोषण व संवर्द्धन” विषय पर आयोजित सेमिनार में पर्यटन उद्यमियों व पर्यवारण संरक्षकों ने एक मंच पर आकर पर्यटन व पर्यावरण दोनों की अभिवृद्धि व संवर्धन पर गहन विचार विमर्श किया।
विद्या भवन पॉलिटेक्निक के सेमिनार कक्ष में आयोजित “इस सेमिनार में सभी लोग इस बात पर सहमत हुए कि मिट्टी, पानी, पहाड़, पेड़ को संरक्षित रखने वाला पर्यटन ही सही पर्यटन है। अगर पर्यटन व्यवसाय केवल मनोरंजन व विलास तक केंद्रित रहा तो यह संस्कृति, प्रकृति व समृद्धि को आघात ही पंहुचायेगा। आयोजन विद्या भवन पॉलिटेक्निक के वाटर फोरम तथा क्राइस्ट विश्वविद्यालय, बेंगलुरु के पर्यटन संकाय के साझे में किया गया।
मुख्य वक्ता रेस्पांसिबल पर्यटन पर पूरे विश्व मे पहचान रखने वाले दिल्ली के अश्विनी खुराना ने कहा कि होटल व रिसोर्ट यह सुनिश्चित करें कि उनका परिसर कचरे, गंदे पानी के उत्सर्जन व झूठन को न्यूनतम करें। यह परिसर कार्बन,वॉटर, एनर्जी न्यूट्रल बनेंगे तो ज्यादा संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करेंगे। उन्होंने स्वयं का उदाहरण देते हुए कहा कि प्रकृति की सेवा, धरती को माता मानने के उनके गहरे भावों व दैनिक होटल परिचालन में इसकी अभिव्यक्ति से वे इको टूरिज्म के क्षेत्र में देश भर में सिरमौर बन सके हैं।
इंटाक के अध्यक्ष व पुरातत्वविद डॉ ललित पांडे ने कहा कि उदयपुर की पुरातत्व विरासत देश विदेश के पर्यटकों को आकर्षित करती है।
गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह , पर्यटन व्यवसाय से जुड़े कमल सिंह राठी, हरि कृष्ण राठौड़, सुरभि जैन ने कहा कि उदयपुर जिम्मेदारी पूर्ण पर्यटन के लिए अग्रसर है ।
भारतीय वन सेवा के पूर्व अधिकारी ओ पी शर्मा, राहुल भटनागर ने कहा कि पर्यटन को स्थानीय संस्कृति, परिवेश, इतिहास , पर्यावरण, पुरातत्व, लोक जीवन व धरोहर केंद्रित बनाना चाहिए।
यू सी सी आई के यश शर्मा ने कहा कि उदयपुर के संदर्भ में पर्यटन धारण क्षमता का आंकलन किया जा रहा है।
पर्यावरण विद डॉ अरुण जकारिया, डॉ आर एल श्रीमाल, कुशल रावल, जयदेव जोशी, दानिश ने कहा कि उदयपुर की झीलें, तालाब व जैव विविधता संकट में है। । देशी प्रवासी पक्षियों के आवास समाप्त हो रहे है। यह अशुभ संकेत हैं।
क्राइस्ट विश्वविद्यालय की शोधार्थी सौम्या कपिल ने कहा कि यह आश्चर्यजनक जनक है कि विश्व के श्रेष्ठ पर्यटक स्थल उदयपुर में पर्यटन विज्ञान पर शिक्षण प्रशिक्षण की प्रभावी व्यवस्थाएं नही है।
अध्यक्षता विद्याभवन के मुख्य संचालक डॉ अनुराग प्रियदर्शी ने की। सेमिनार संयोजक डॉ अनिल मेहता ने सेमिनार के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला तथा ख़ुशी जताई कि पर्यटन व पर्यावरण पर समग्र चिंतन प्रारम्भ हुआ है।
कर्मा लेकलेण्ड की डिक्की भूतिआ ने सेमिनार का समापन उद्बोधन दिया। धन्यवाद डी पी एस शिक्षण संस्थान की नीतू कपिल ने दिया ।