नई दिल्ली, 29 जुलाई। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि बाघ सिर्फ एक वन्यजीव नहीं बल्कि हमारी जैव विविधता के प्रहरी हैं। उनका संरक्षण केवल एक प्रजाति का संरक्षण नहीं बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को संतुलित रखने का उपाय है। भारत ने इस दिशा में वैश्विक नेतृत्व की भूमिका निभाई है। मंगलवार को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर पर दिल्ली के राष्ट्रीय प्राणी उद्यान में पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा आयोजित कार्यक्रम में भूपेन्द्र यादव बोल रहे थे। इस मौके पर केंद्रीय विदेश तथा पर्यावरण, वन व जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह, मंत्रालय के सचिव तन्मय कुमार, वन महानिदेशक एस.के. अवस्थी, और अनेक वरिष्ठ अधिकारी, वन कर्मी व पर्यावरणविद भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत सभी गणमान्य अतिथियों, स्कूली छात्रों और वन विभाग के अधिकारियों ने पौधरोपण किया।

इस मौके पर भूपेन्द्र यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, भारत में बाघ अभयारण्यों की संख्या 2014 में 46 से बढ़कर अब तक 58 हो गई है। यह वृद्धि हमारे राष्ट्रीय पशु की रक्षा के प्रति प्रधानमंत्री की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है। उन्होंने कहा कि सभी 58 बाघ अभयारण्यों में 1 लाख से अधिक पौधे लगाए जाएंगे, जिससे यह दुनिया के सबसे बड़े अभियानों में से एक बन जाएगा। भूपेन्द्र यादव ने बच्चों और नागरिकों से मातृशक्ति और धरती मां दोनों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए “एक पेड़ मां के नाम” अभियान के तहत अपनी मां के नाम पर कम से कम एक पेड़ लगाने का आग्रह किया।

इस मौके पर केंद्रीय राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने कहा कि हमारी सांस्कृतिक विरासत में प्रकृति को मां का दर्जा दिया गया है। एक पेड़ मां के नाम अभियान इसी भावनात्मक जुड़ाव का प्रतीक है, जो हमें न केवल पर्यावरण की रक्षा करने के लिए प्रेरित करता है, बल्कि प्रकृति के साथ अपने रिश्ते को फिर से परिभाषित करने का अवसर भी देता है। उन्होंने बच्चों के साथ संवाद किया। वन्यजीव संरक्षण के प्रति उनकी रूचि की सराहना की।

भारत विश्व में सबसे अधिक बाघों की आबादी वाला देश है और बाघ संरक्षण की दिशा में ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ से लेकर इंटरनेशनल बिग कैट एलायंस तक अनेक वैश्विक प्रयासों में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।