
गांधीनगर, 14 अगस्त । एक महिला सरपंच सहित गुजरात प्रदेश के तीन सरपंचों को नई दिल्ली में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में शामिल होने के
लिए विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रण मिला है। यह आमंत्रण उनके सकारात्मक सोच और विकास कार्यों को भी दिखाता व बताता है।
गुजरात राज्य के गाँव विकास के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं। कच्छ जिले के भीमासर, भरूच जिले के अखोड तथा नवसारी जिले के सुलतानपुर जैसे आदर्श गाँवों के प्रगतिशील सरपंचों ने अपने सकारात्मक विचारों से गाँव में शहर जैसी सुविधाएँ विकसित कर ग्रामीण विकास की नई परिभाषा गढ़ी है। इन गाँवों की प्रगति केवल सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं है, बल्कि सरपंचों द्वारा गाँव को अपना घर मानकर किए गए प्रयासों का एक उत्तम उदाहरण भी है।
इन गाँव के सरपंचों ने विकास के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहकर अपने गाँव को ‘मॉडल विलेज ऑफ रूरल डेवलपमेंट’ का सम्मान दिलाया है। इन तीनों गाँवों के सरपंचों को 15 अगस्त को नई दिल्ली में आयोजित स्वतंत्रता दिवस समारोह में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। गुजरात के इन तीन सरपंचों में एक महिला सरपंच भी है, जिन्होंने नारीशक्ति के दृढ़संकल्प और महिला सशक्तीकरण का श्रेष्ठ उदाहरण प्रदान किया है।
भीमासर की महिला सरपंच बनी गाँव की माता-
कच्छ के भीमासर गाँव की महिला सरपंच डाईबेन हुंबल ने अपने गाँव को केवल स्वच्छ ही नही बल्कि समृद्ध बनाने का सपना भी संजोया था। उनके नेतृत्व में आज भीमासर गाँव के हर घर में शौचालय, वेस्ट निकासी के लिए पूरे गाँव में सीवेज व्यवस्था, डोर-टू-डोर वेस्ट कलेक्शन आदि सुविधाएँ उपलब्ध हुई हैं। परिणामस्वरूप आज भीमासर गाँव स्वच्छ भारत मिशन अंतर्गत ‘ओडीएफ प्लस मॉडल’ विलेज बना है। उन्होंने गाँव में ग्रीन कवर बढ़ाने के लिए ‘ग्रीन भीमासर प्रोजेक्ट’ लागू कर ग्रामीण जनों को प्रति परिवार 10 पेड़ लगाने का भी आह्वान किया था।
उन्होंने गाँव की 200 एकड़ गौचर भूमि में ‘व्रज भूमि फार्म’ बनाकर तालाब के पानी के उपयोग से उस फार्म में गायों के चरने के लिए घास उगाई है। इससे गाँव के पशुओं को घास-चारा तो मिलता ही है। साथ ही गाँव के ही लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। इस भूमि पर भविष्य में अतिक्रमण न हो; इसके लिए उसके चारों ओर 10,000 पेड़ लगाकर आरसीसी के पिलर भी बनाए गए हैं। भीमासर गाँव में आज सार्वजनिक पुस्तकालय, पीएचसी, पोस्ट ऑफिस, बैंक, गौशाला तथा प्राथमिक से लेकर माध्यमिक विद्यालय तक की व्यवस्थाएँ उपलब्ध हैं। डाईबेन की दीर्घदृष्टि एवं कुशलता के फलस्वरूप भीमासर गाँव को अब तक कुल 13 राष्ट्रीय पुरस्कारों का गौरव प्राप्त हुआ है।
सुलतानपुर गांव के सरपंच बने समाजसेवक-
नवसारी जिले के सुलतानपुर गाँव के सरपंच शशिकांतभाई पटेल ने अपने गाँव को न केवल सुविधा संपन्न, बल्कि सामाजिक रूप से सशक्त भी बनाया है। उन्होंने गाँव के किसी भी घर में बेटी के जन्म पर उस परिवार को 5,000 रुपये की सहायता देने की पहल कर ‘बेटी बचाओ’ अभियान को बढ़ावा दिया है। इसके अलावा; गाँव में ग्रे वॉटर (मलिन जल) के प्रबंधन के लिए अपने घर में श्रेष्ठ किचन गार्डन बनाने वालों को भी पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया है, जिससे गाँव के अधिक से अधिक लोग किचन गार्डन बनाने के लिए प्रोत्साहित हों।
सुलतानपुर गाँव की सबसे प्रेरणादायक बात तो यह है कि इस गाँव के सार्वजनिक शौचालय में दिव्यांगों के लिए ब्रेल लिपि में साइन बोर्ड लगाए गए हैं। ऐसी संवेदनशील पहल करने वाला गुजरात का यह पहला गाँव है। इतना ही नहीं, स्वच्छ भारत मिशन के सभी मानदंडों पर 100 प्रतिशत उपलब्धि प्राप्त कर सुलतानपुर ‘ओडीएफ प्लस मॉडल विलेज’ बना है। श्री शशिकांतभाई की मानवतावादी सोच तथा समाज के प्रति संवेदनशीलता ने सुलतानपुर को एक आदर्श गाँव बनाया है।
अखोड के नेतृत्वकर्ता बने पर्यावरण के रक्षक-
भरूच जिले के अखोड गाँव के सरपंच नरेन्द्रसिंह सोलंकी गाँव को स्वच्छता एवं जल प्रबंधन क्षेत्र में शीर्ष पर लेकर आए हैं। उनका सबसे बड़ा योगदान ग्रे वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट है, जो नैनो एफ्लुएंट ट्रीटमेंट सिस्टम द्वारा चलता है। यह प्लांट न केवल पानी की बचत करता है बल्कि बिजली एवं मानव संसाधन खर्च में भी कमी लाता है। पानी के ट्रीटमेंट के लिए औषधीय वस्तुओं का उपयोग किया जाता है और शुद्ध किए गए जल काे खेती के में उपयोग किया जाता है।
इसके अलावा उन्होंने गाँव के पुराने तालाबों को गहरा करके तथा नए तालाबों का निर्माण करके गाँव की जीवनडोर को मजबूत किया है। अखोड गाँव भी स्वच्छ भारत मिशन के सभी मानदंडों पर 100 प्रतिशत उपलब्धि हासिल कर ‘ओडीएफ प्लस मॉडल विलेज’ बना है। साथ ही गाँव के 100 प्रतिशत घरों में ‘नल से जल’ के जरिये पानी पहुँच रहा है। श्रेष्ठ कामकाज के लिए अखोड गाँव को भी विभिन्न पुरस्कार प्राप्त हुए हैं। नरेन्द्रसिंह की नई विचारधारा ने अखोड को स्मार्ट एवं आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
तीन गाँव, एक ही संकल्प विकास-
इन तीनों गाँवों की सफलता दर्शाती है कि जब लोगों द्वारा निर्वाचित सरपंच सेवा एवं समर्पण के भाव से काम करते हैं, तब गाँव के विकास को कोई रोक नहीं सकता है। स्वच्छता, जल प्रबंधन, शिक्षा, पर्यावरण तथा सामाजिक सशक्तीकरण जैसे हर क्षेत्र में इन तीनों गाँवों ने अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित की है। ये गाँव केवल गुजरात के लिए ही नहीं बल्कि समग्र देश के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं, जो ‘विकसित भारत’ के विजन को साकार करने के मार्ग पर आगे बढ़ रहे हैं। इसी कारण इन गाँवों के दूरदर्शी सरपंचों को विशेष आमंत्रण भेजा गया है।