रांची, 20 मई । रिम्स निदेशक प्रो (डॉ) राजकुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को रिम्स के सीएसएसडी और लांड्री के लंबित बिल के भुगतान को लेकर बैठक हुई। बैठक में निदेशक ने सीएसएसडी और लांड्री के भुगतान में विलम्ब के कारणों को जानने की कोशिश की।

उल्लेखनीय है कि रिम्स में सीएसएसडी और लांड्री की सेवाएं बाहरी एजेंसी मेडीलैब उपलब्ध कराती है। इस एजेंसी की निविदा की शर्तों और उसके बाद किये गए समझौते के अनुसार यदि किसी कारणवश संस्थान की ओर से भुगतान में विलम्ब हो रहा है तब भी एजेंसी को अपने कर्मियों को भुगतान करते रहना है। लेकिन एजेंसी की ओर से इस शर्त का पालन नहीं किया जा रहा है। साथ ही पूर्व के कुछ बिल एजेंसी ने देरी से प्रस्तुत किया था। इसे लेकर रिम्स प्रबंधन ने एजेंसी से स्पष्टीकरण भी मांगा था।

चिकित्सा उपाधीक्षकने की एजेंसी के कर्मचारियों से वार्ता

वहीं मौके पर चिकित्सा उपाधीक्षक ने खुद एजेंसी के कर्मचारियों से वार्ता की और उनसे भुगतान में देरी की शिकायत एजेंसी से न करने की जानकारी मांगी।

इसपर कर्मचारियों की ओर से बताया गया कि ठेकेदार रिम्स में नहीं आता है और मामले का समाधान सुपरवाइजर नहीं कर पा रहा है। मौके पर चिकित्सा अधीक्षक और उपाधीक्षक की मध्यस्थता और एजेंसी की ओर से सभी लंबित वेतन का एक सप्ताह के अंदर भुगतान का लिखित आश्वासन मिलने के बाद कर्मचारी काम पर लौटे और सभी सेवाएं पुनः शुरू की गई।

रिम्स निदेशक डॉ राज कुमार ने इसे लेकर फाइल में पहुंचने में देरी के कारणों को चिन्हित करते हुए पांच दिनों में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। साथ ही उन्होंने तीन दिनों में एजेंसी का लंबित भुगतान करने के आदेश दिया। डॉ राज कुमार ने कहा कि यदि ठेकेदार की गलती है तो उस पर अनिवार्य सेवाएं को बाधित करने और निविदा शर्तों का पालन नहीं करने पर एफआईआर भी की जाएगी।